
कोटा .
दो साल पहले मकान आवंटित होने के बावजूद नगर विकास न्यास किराएदार स्वामित्व योजना के लाभार्थयों को घर का कब्जा नहीं दे पाई है। राजीव आवास योजना के अंतर्गत बनाए गए इन मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन किस आवंटी को कौन सा घर दिया जाना है, यह तय होना बाकी है। इस वजह से 1528 लाभार्थियों का घर आबाद होने का सपना पूरा नहीं हो सका है।
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यूआईटी ने वर्ष 2013 में 7166.58 करोड़ रुपए की लागत से राजीव गांधी आवास योजना के तहत मोहनलाल सुखाडिय़ा विस्तार योजना में 'जी प्लस वन श्रेणी के 1528 घरों का निर्माण कार्य शुरू किया था।
जमीन पर अतिक्रमण के कारण काम बीच में अटका भी, कब्जे हटाकर काम चालू कराया गया। वर्ष 2015 और 2016 में लॉटरी निकाल कर लाभार्थियों का चयन भी कर लिया, लेकिन दो साल बाद भी कौन सा घर किस लाभार्थी को दिया जाना है, यह तय नहीं हो सका।
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कच्ची बस्तियों में किराए पर रहे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए बने इन मकानों की लागत प्रति आवास 3.50 लाख रुपए है। एक आवासीय इकाई का निर्मित क्षेत्रफल 329.05 वर्ग फीट है।
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इसमें दो कमरे, एक किचन और एक बाथरूम और एक टॉयलेट बनाया गया है। प्रथम तल पर बालकनी भी है। पात्र लाभार्थियों को महज
525 रुपए के मासिक किराए पर आवास दिए जाने हैं। पांच साल बाद लागत मूल्य का 10 फीसदी यानि 35000 रुपए चुकाने पर आवंटियों को मालिकाना मिलेगा।
Published on:
02 Apr 2018 02:26 pm
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