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तब अटल की वजह से 1 साल में ही चली गई थी कुर्सी, अब इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है यह नेता

locationकोटाPublished: Nov 17, 2018 07:07:47 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

1998 के चुनावों में रामनारायण मीणा ने भाजपा के प्रत्याशी और दिवंगत नेता रघुवीर सिंह कौशल को हराया था

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तब अटल की वजह से 1 साल में ही चली गई थी कुर्सी, अब इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है यह नेता

कोटा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनारायण मीणा को पार्टी ने पीपल्दा से प्रत्याशी बनाया है। मीणा की परम्परागत सीट देवली-उनियारा है यही वजह है कि उन्हें यहां कांग्रेस के ही स्थानीय नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। हालांकि पार्टी यह कहकर उनकी दावेदारी को सही बता रही है कि वे एक बार कोटा-बूंदी लोकसभा से सांसद रहे है।
1998 के चुनावों में रामनारायण मीणा ने भाजपा के प्रत्याशी और दिवंगत नेता रघुवीर सिंह कौशल को हराया था लेकिन अटल जी वजह से मीणा केवल 13 महीनों तक ही इस सांसद रह पाए थे। दरअसल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 महीने तक चल पाई थी। एक वोट से सरकार गिरने के बाद राजस्थान समेत पूरे देश में वाजपेयी के पक्ष में सहानुभुति की लहर थी। 1999 में एक साल बाद हुए आम चुनावों में दोनों दलों द्वारा दोबारा वहीं प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन इस बार रामनारायण मीणा की जगह रघुवीर सिंह कौशल ने चुनाव जीता।
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विरोध के बाद गुड्डू की पत्नी गुलनाज लाडपुरा प्रत्याशी

कोटा. लाडपुरा विधानसभा से कांग्रेस के सभी दावेदारों को दौड़ में पीछे छोड़ते हुए नईमुद्दीन गुड्डू पत्नी गुलनाज को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। लगातार दो बार चुनाव हारने के कारण गुड्डू का नाम दावेदारों की सूची से काट दिया गया। इसकी भनक लगते ही उनके समर्थकों ने हंगामा कर दिया और पार्टी छोडऩे की चेतावनी दी। बगावती तेवर देखकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने गुड्डू को दिल्ली बुलाया। पहले उन्हें यह समझाने का प्रयास किया कि उन्हें दो बार मौका मिल चुका है, इस बार नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाना चाहिए। जब बात नहीं बनी तो मामला राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तक गया और फिर उनकी पत्नी को टिकट देने की सहमति बन गई।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष ने एक कमेटी बनाई थी, जिसने चुङ्क्षनदा सीटों से अल्पसंख्यकों को टिकट देने का अनुरोध किया था। इसमें लाडपुरा सीट का नाम भी शामिल था। जब दिल्ली से नईमुद्दीन गुड्डू को इस बार अन्य प्रत्याशी का सहयोग करने की बात कही गई, उसके बाद से विरोध का घटनाक्रम शुरू हुआ। इसके बाद नईमुद्दीन गुड्डू रात में ही दिल्ली चले गए। इसके बाद दुबारा मंथन हुआ और गुलनाज का नाम तय हुआ।
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