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राजस्थान के आगामी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होगा ‘आरक्षण’

59 विधानसभाओं में प्रत्याशी खड़ा करेगी समता आंदोलन  

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राजस्थान के आगामी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होगा 'आरक्षण'

कोटा . समता आंदोलन समिति के संस्थापक अध्यक्ष योगेश्वर नारायण ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण वर्ष 1996 से समाप्त है, लेकिन राजस्थान के दोनों मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के कारण राजस्थान में 12 व 16 प्रतिशत का कोटा निर्धारित कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की है। दोनों ही अभिमानी हैं, उन्हें आगामी चुनाव में समता आंदोलन समिति सबक सिखाएगी। यह बात उन्होंने समता आंदोलन समिति के स्थापना दिवस पर सनाढ्य भवन महावीर नगर प्रथम पर आयोजित समारोह के मुख्य वक्ता के रूप में कही।

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उन्होंने कहा कि समता आंदोलन द्वारा पहली लड़ाई 10 वर्ष पूर्व राजस्थान प्रशासनिक अधिकारी से भारतीय प्रशासनिक अधिकारी के पदोन्नति को लेकर लड़ी गई। जिसमें उच्च न्यायालय जयपुर से स्थगन आदेश प्राप्त किया गया। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण की समाप्ति के लिए हम सर्वोच्च न्यायालय गए। वहां भी हमारी जीत हुई।

जिसका फायदा 9 अन्य राज्यों के राज्यकर्मियों को मिला। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में जंगल नहीं है तो जनजाति क्यों? अब देश में छुआछूत की व्यवस्था भी नहीं है और न ही उन जातियों का आदिम व्यवहार है, तो फिर किस बात का आरक्षण? यह मात्र राजनीति का विषय बन गया है, इसको हटाने के लिए हमें हिम्मत दिखानी होगी। आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए बाहर निकलकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने हर विषय पर विस्तार से जवाब दिया।

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मंचासीन अतिथियों में जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष कालूराम भील, डॉ. अनिल शर्मा, थर्मल के पूर्व मुख्य अभियंता अजय चतुर्वेदी, पीडब्ल्यूडी के पूर्व मुख्य अभियंता धीरेन्द्र माथुर व कमल सिंह बडग़ूजर थे।

नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ
विशेष अतिथि कालूराम भील ने कहा कि 11 सदस्यों की समता समिति आज वटवृक्ष हो गई है, भारतवर्ष में सबसे बड़ी यह दूसरा गैर-राजनैतिक संस्था है। उन्होंने कहा कि आरक्षण भ्रष्टाचार है जो वोटों की रिश्वत से सींची गई है। यह प्रत्येक राजनैतिक पार्टी चाहती है। आरक्षण का लाभ 5 प्रतिशत उच्च वर्ग को ही हो रहा है, दलित महादलित हो गया है, इसके लिए क्रीमीलेयर लागू हो। माननीय सर्वोच्च न्यायालय में रिट पीटीशन मेरे द्वारा डाली जा चुकी है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। इसका परिणाम 2 अप्रेल को आरक्षित वर्ग के अपराधिक लोगों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को जलाकर व 8 व्यक्तियों की जान लेकर उक्त कृत्य कर दर्शाया गया। आज भी भील, सहरिया आदिवासी हैं, जिनको आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है।

भाजपा ने की वादाखिलाफी
संभागीय अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि जातिगत आरक्षण से कुण्ठित युवा छात्र शक्ति को समता आंदोलन समिति ने संबल दिया है। लेकिन भाजपा सरकार ने वादा खिलाफी की है, इसे सबक सिखाने का समय आ गया है। 2 अप्रेल को असामाजिक सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे सरकार द्वारा वापस लिए जा रहे हैं जो खेदजनक हैं। हम 59 आरक्षित सीटों पर समता समिति के राष्ट्रवादियों से निर्धारित 6 बिन्दुओं पर वचन पत्र लेकर चुनाव लड़ाएंगे। वर्तमान में 10 प्रत्याशियों द्वारा वचन पत्र लिया जा चुका है, 3 विचाराधीन हैं। उन्होंने कालूराम भील को साधुवाद देते हुए कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में क्रीमीलेयर के लिए रिट पीटीशन दायर कर गरीबों के हित की रक्षा की है।