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कोटा के शाही दशहरे मेले की 10 कहानियांः धूल धूसरित हुआ अहंकार, सात मिनट में खाक लंकेश की सत्ता

कोटा. 1893 में हुई थी थी शुरुआत, 124 वां है दशहरा मेला-2017, रावण और कुम्भकरण 3-3 मिनट में व मेघनाद 1 मिनट में खाक हुआ।

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कोटा

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abhishek jain

Oct 01, 2017

Royal Dussehra Fair Kota

कोटा. 1893 में हुई थी थी शुरुआत, 124 वां है दशहरा मेला-2017, रावण और कुम्भकरण 3-3 मिनट में व मेघनाद 1 मिनट में खाक हुआ।

कोटा .

असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक दशहरे के दिन शनिवार को अहंकारी रावण का कुनबा मात्र 7 मिनट में खाक हो गया। रावण व कुम्भकरण के पुतले 3-3 मिनट में और मेघनाद का पुतला मात्र 1 मिनट में खाक हो गया। एक बार आग लगने के बाद सभी पुतले एक के बाद धू-धू कर जल उठे। गत वर्षों की तुलना में इस बार रावण दहन देखने वालों की भीड़ काफी कम नजर आई। हालांकि निर्धारित मुहूर्त से करीब एक घंटा देरी से रावण दहन हुआ।







नगर निगम की ओर से आयोजित 124 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में विजयश्री रंगमंच के सामने तीनों पुतले खड़े किए गए थे। रावण का पुतला 72 फीट का और कुम्भकरण व मेघनाद के पुतले 45-45 फीट के थे। गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मी नारायणजी की सवारी के रंगमंच पर पहुंचने के बाद पूजा-अर्चना की गई। इधर, सवारी आने के बाद पूजा-अर्चना चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ स्टेज पर अतिथि सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने में मगन थे।

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रावण दहन का निर्धारित मुहूर्त 7.21 से 7.41 के बीच था लेकिन दहन करीब एक घंटा देरी से 8.41 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले रात 8.41 बजे कुम्भकरण का पुतला जलना शुरू हुआ, तीन मिनट में खाक हो गया। इसके बाद 8.44 बजे मेघनाद का पुतला जलना शुरू हुआ जो मात्र 1 मिनट में खाक हो गया। अंत में 8.45 बजे रावण के पुतले ने जैसे ही आग पकड़ी, लोगों का उत्साह देखते ही बना। करीब 3 मिनट में 8.48 बजे तक रावण का पुतला भी खाक हो गया। कुल जमा सात मिनट में रावण का पूरा कुनबा खाक हो गया। इसके बाद करीब 20 मिनट से भी अधिक समय तक आतिशबाजी होती रही जिसका लोगों ने आनंद लिया।

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इन्होंने की शिरकत-

रावण दहन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद ओम बिरला थे। विधायक संदीप शर्मा व हीरालाल नागर, महापौर महेश विजय, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष रामकुमार मेहता, जिला कलक्टर रोहित गुप्ता, शहर पुलिस अधीक्षक अंशुमान भौमिया, निगम आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल, न्यास सचिव आनंदी लाल वैष्णव और निगम उपायुक्त, मेला अधिकारी व मेला अध्यक्ष राम मोहन मित्रा समेत कई पार्षद व जनप्रतिनिधि व अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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कम रोशनी और धूल के गुबार

राष्ट्रीय स्तर के दशहरा मेले में जहां हर बार पूरा परिसर रोशनी से जगमगाता रहता था, इस बार रावण दहन स्थल से लेकर पूरे मैदान में कम रोशनी लोगों को अखरी। मैदान में चल रहे निर्माण कार्य के कारण लाख प्रयास के बावजूद निगम लोगों़ को छूल से राहत नहीं दे सका। रावण दहन देखने आए लोग मैदान में उड़ रहे धूल के गुबार से खासे परेशान दिखे। कम रोशनी व धूल को देखकर लोगों का कहना था कि यह किसी गांव के मेले जैसा लग रहा है।

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एक घंटा चला सांस्कृतिक कार्यक्रम
रावण दहन से पहले विजयश्री रंगमंच की बांयी तरफ बनाए गए छोटे मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आए कलाकार वंदना मिश्रा व शैलेन्द्र मिश्रा ने भजन और फिल्मी गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया। शाम 6 से 7 बजे एक घंटे तक 'ठुमक-ठुमक चले राम बाजे बेंजनिया....कभी राम बनके कभी श्याम बनके...मनिहारी का वेश बनाकर श्याम चूड़ी बेचने आया..' समेत कई भजन और गीत सुनाए।

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बुराई त्याग अच्छाई ग्रहण करें: सांसद

कोटा. सांसद ओम बिरला ने कहा कि विजयादशमी असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन होने वाले रावण दहन के साथ ही सभी के अहंकार का भी अंत हो जाना चाहिए।

रावण दहन के अवसर पर उन्होंने कहा कि सभी को बुराई त्याग कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि दशहरा मैदान की स्थिति को देखते हुए मेला भरवाने के निगम के प्रयास सराहनीय हैं। महापौर व मेला समिति अध्यक्ष ने सभी को दशहरे की बधाई दी।

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घोड़ी बिदककर जमीन पर लेटी

भगवान लक्ष्मीनारायण की सवारी जैसे ही दशहरा मैदान में रावण दहन स्थल पर पहुंची तो शोभायात्रा में शामिल एक घोड़ी बिदक गई और जमीन पर लेट गई। इससे बग्घी टेढ़ी हो गई। लोगों ने बड़ी मुश्किल से बग्घी में सवार राम सीता को नीचे उतारा।

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राजसी ठाठ-बाट से निकली भगवान की सवारी

कोटा . राष्ट्रीय दशहरा मेले के तहत शनिवार को रावण दहन से पूर्व शाम को गढ़ पैलेस के दरीखाने से राजसी वैभव व ठाठबाट के साथ भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी निकाली गई। खुली जीप में राज परिवार के पूर्व सदस्य इज्यराज सिंह शाही पोशाक में थे। लोक कलाकार हाड़ौती की सांस्कृतिक छठा बिखरते हर किसी का ध्यान खींच रहे थे। सवारी गढ़ पैलेस से रवाना होकर किशोरपुरा दरवाजे से होते हुए दशहरा मैदान स्थित विजयश्री रंगमंच पहुंची। यहां सिंह ने ज्वारा पूजन के बाद रावण की नाभि के कलश को तीर से भेदा। इसके बाद रावण दहन हुआ।

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ये रहे सवारी के आकर्षण

80 रावण सेना पैदल,1 काली माता सज्जा समेत, 1 हाथी, 20 घोड़े 20 नगाडे,1 ऊंट गाड़ी, 6 जीवंत झांकियां, 1 कच्छी घोड़ी का दल, 2 बैण्ड, 20 महिला व 5 पुरुष कलाकार, चकरी नृत्य,पुलिस व आरएसी का बैंड आकर्षण का केंद्र रहे।

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यहां भी भस्म हुआ अहंकार

कोटा. दशहरा मैदान के अलावा भी अन्य जगहों पर शनिवार को विजयादशमी पर रावण दहन किया गया। इस दौरान रावण दहन देखने के लिए लोगों में अपार उत्साह देखा गया। शाम होते ही लोग रावण दहन स्थल पर पहुंचे, रावण दहन के चश्मदीद बने।

डीसीएम श्रीराम लिमिटेड की ओर से श्रीराम कला मंदिर परिसर में शाम साढ़े सात बजे रावण दहन किया गया। यहां 70 फीट के रावण व 35-35 फीट के मेघनाद व कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। मुश्किल से 15-20 मिनट में तीनों पुतले भस्म हो गए। यहां अतिथि रहे डीसीएम के रेजीडेंट हेड प्रेमदास, बिजनेस हेड वीनू मेहता व अन्य अधिकारियों ने राम का राज्याभिषेक किया। बाद में भव्य आतिशबाजी की गई।

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श्रीनाथपुरम स्थित रावण चौक में रात पौने नौ बजे 70 फीट रावण के पुतले का दहन किया गया। यहां 15 मिनट में 35-35 फीट के कुंभकरण, मेघनाद व 10 मिनट में रावण का दहन हो गया। समारोह में मुख्यअतिथि पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, नगर विकास न्यास के पूर्वअध्यक्ष रविंद्र त्यागी रहे।
रेलवे वर्कशॉप कॉलोनी में शिव मंडल विकास समिति की ओर से रात करीब नौ बजे 68 फीट के रावण, 35-35 फीट के मेघनाद व कुंभकरण के पुतले का दहन किया गया। आदर्श होली संस्थान नयापुरा की ओर से नयापुरा थाने के सामने 40 फीट के रावण, 30-30 फीट के मेघनाद, कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। यह जानकारी संस्थान के महासचिव मनीष सक्सेना ने दी।