
प्रतीकात्मक फोटो
कोटा. प्रदेश में खान एवं भू-विज्ञान विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद खान मालिक और इसका परिवहन करने वाले रवन्ना में गड़बड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में सबसे अधिक मैनुअल पर्ची के रवन्ने का खेल भीलवाड़ा, जोधपुर, बीकानेर में चल रहा है। यहां आज भी ई-रवन्ना का कम और मैनुअल पर्चियाें (ठेकेदार की ओर से विभाग की रसीद बुक की पर्ची) का अधिक चलन है। ऐसे में खान एवं भू-विज्ञान विभाग को राजस्व का मोटा नुकसान हो रहा है।
प्रदेश में सबसे अधिक और अच्छे मिनरल निकलने वाले वृत में भीलवाड़ा वृत प्रमुख है। इसके अलावा जोधपुर में प्रदेश की सबसे ज्यादा छोटी खानें हैं। बीकानेर में भी छोटी खानों की संख्या काफी हैं। ऐसे में यहां खान एवं भू-विज्ञान विभाग को अच्छा राजस्व भी मिलता है, लेकिन बावजूद इसके यहां अभी तक ई-रवन्ना से ज्यादा पुराने ढर्रे पर मैनुअल पर्चियों का चलन ज्यादा है। यहां सबसे छोटी क्यूएल श्रेणी की खानों के नाम पर ई-रवन्ने की जगह कच्ची पर्चियों पर रवन्ना काटने का खेल चल रहा है। कच्ची पर्ची से खान मालिक से लेकर वाहन संचालक और रवन्ना ठेकेदार की मौज हो रही है, वहीं विभाग को इससे राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ई-रवन्ना से कम और मैनुअल पर्चियों से अधिक रवन्ना वसूल किए जाने से भीलवाड़ा वृत में रवन्ना में ठेकेदार का मुनाफा भी अधिक होता है। यहां 50 से अधिक मिनरल बड़े पैमाने पर निकलते हैं। ऐसे में यहां का ठेका काफी अधिक का होता है। यहां का रवन्ना वसूली का ठेका लेने के लिए राजनेताओं से लेकर आला व्यावसायियों की नजर रहती है।
दरअसल, ई-रवन्ना में वाहन का रवन्ना ऑनलाइन कट जाता है। इसके बाद वाहन को उसकी दूरी तय करने के लिए दो घंटे का समय दिया जाता है। ऐसे में इसमें गड़बड़ी की संभावना कम रहती है। समय पर वाहन नहीं पहुंचने या रास्ते में वाहन के खराब होने या कोई और समस्या आने पर वाहन मालिक को इसकी तस्दीक खान विभाग के अधिकारी से करवानी होती है। ऐसे में ई-रवन्ना में गड़बड़ी की संभावना कम होती है।
भीलवाड़ा में आज भी मैनुअल रवन्ने पर गाड़ियां पास करवाई जा रही है। बिजौलिया क्षेत्र में मैनुअल पर्चियां काटी जा रही है। यहां कच्ची पर्चियों पर रवन्ना काटा जा रहा है। इसमें एक रवन्ने पर एक से अधिक गाड़ियों को पास करवाने का गड़बड़झाला चल रहा है।
Published on:
04 May 2024 11:33 am
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