9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोटा थर्मल को अफसरों ने लगाई करोड़ों की चपत, चहेतों को दे दिया मैन्युअली कोयला उठाने का ठेका

कोटा थर्मल के अफसरों ने कोयला उठाने में ही 1.33 करोड़ का घोटाला कर डाला। पोल खुली तो आला अफसरों ने ठेका निरस्त करने के आदेश दे दिए।

2 min read
Google source verification
Kota Thermal, Kota Super Thermal Power Station, JVVNL, Scam in Kota Thermal, Rajasthan Patrika, Kota Patrika, Patrika News, Kota News

scam in Kota thermal

कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन में रेलवे के वैगन से कोयला उतारने के लिए 5 ऑटोमेटिक टिपलर लगे हुए हैं और सभी ट्रिपलर ठीक ठाक काम भी कर रहे हैं। इसके बावजूद भी थर्मल के अफसरों ने अपने चहेतों को रेलवे वैगन से मैन्युअली कोयला उतारने का ठेका दे दिया। सभी काम ऑटोमेटिक मशीनों से कराने वाले थर्मल में अचानक 28 साल बाद मैन्युअली ठेका देने का मामला खुला तो जेवीवीएनल के आला अफसरों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए ठेका निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए। 1.33 करोड़ रुपए के इस घोटाले में शामिल अफसर अब खुद को बचाने के लिए सफाई देते फिर रहे हैं।

Read More: #sehatsudharosarkar: अस्पतालों की व्यवस्थाएं वेंटीलेटर पर और वेंटीलेटर पड़े हैं खराब

घाटे में चल रहा है पॉवर स्टेशन

चहेते को फायदा पहुंचाने की बानगी देखनी हो तो चले आइये घाटे में चल रहे कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन में। यहां के अधिकारियों ने सभी पांचों वैगन टिपलर्स के काम करने के बावजूद मैन्युअली कोयला उठाने का ठेका दे दिया। मैसर्स पगौड़ा इंजीनियरिंग को यह ठेका चार माह के लिए 1.33 करोड़ रुपए में दिया गया। ठेका फर्म को जुलाई से अक्टूबर तक चार माह में मैन्युअली २ लाख टन कोयला वैगनों से खाली करना है।

Read More: #sehatsudharosarkar: भामाशाह कार्ड लेकर भी नहीं किया रजिस्ट्रेशन, तीमारदार और अस्पताल कर्मी भिड़े

28 साल बाद हुआ मैनुअल काम

कॉन्ट्रेक्ट की जानकारी जयपुर में बैठे उच्चाधिकारियों को मिल जाने और उनके इस पर सवाल खड़ा करने के बाद ठेका करने वाले स्थानीय अधिकारी सकते में हैं। इससे पहले 1989 में मैन्युअली कोयला अनलोडिंग का ठेका दिया गया था। पिछले २८ साल में संसाधन मजबूत होने से कभी ठेका नहीं दिया गया। बरसात में वैगन गीले होने की दशा में थर्मल की ही जेसीबी अनलोड करती रही है। हालांकि संवेदक फर्म जेसीबी लगाकर वैगन खाली करती है, इसके बावजूद वैगन पूरी खाली नहीं होती। संवेदक फर्म की खाली की गई कई वैगन्स को फाइनली टिपलर्स से ही खाली कराया जाता है।

Read More: देखिए 450 साल से कैसे बुनी जा रहा है कोटा डोरिया की खास साड़ी

दो माह में 23 हजार टन कोयला उतारा

टिपलर की जगह जेसीबी से वैगन खाली करने से उनमें नुकसान और टूट फूट भी हुई। इस पर रेलवे ने थर्मल पर करीब ३५ हजार रुपए पेनल्टी लगाई है, हालांकि इस संबंध में ठेका फर्म के विजयसिंह का कहना है कि जो नुकसान हुआ, वह फर्म भुगत लेगी। थर्मल कोल यार्ड के सूत्रों ने बताया कि ठेका फर्म ने जुलाई में 145 वैगन यानी 10हजार टन और अगस्त में 190 वैगन यानी साढ़े 12 हजार टन कोयला खाली किया। इन दो माह में 23 हजार टन ही खाली हुआ। सितम्बर में तो अधिकांश कोयला सीधे बंकर में ही गया, एेसे में ठेका फर्म ने एक भी वैगन खाली नहीं की।

Read More: #sehatsudharosarkar: यहां मिलती है बिना तारीख की पर्ची, विरोध करने पर हो जाती है हड़ताल

ठेकेदार को हटाने के दिए निर्देश

आरवीयूएनएल के तकनीकी निदेशक एसएस मीणा ने बताया कि टिपलर काम कर रहे, फिर भी मैन्युअली अनलोडिंग हो रही। यह गलत है। सीई को स्पष्ट निर्देश दे दिए कि ठेके को हटा दें। राजस्थान विद्युत उत्पादन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामसिंह शेखावत ने कहा कि कर्मचारी थर्मल को घाटे से उबारने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उच्चाधिकारी इस तरह ठेके देकर नुकसान पहुंचा रहे। इसकी निष्पक्ष जांच हो। हालांकि थर्मल के मुख्य अभियंता एचबी गुप्ता से जब बात की गई तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके काम संभालने से पहले प्रपोजल बना था। जिसका उन्होंने आर्डर दिया था, लेकिन वह इसकी जरूरत साबित नहीं कर पाए।