31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोटा

सत्रह साल की कथावाचक अनन्या शर्मा ने कोचिंग स्टूडेंट्स से कही दमदार बात, बोली- ठोकर भी सबक देती है, पहले से बेहतर करें, फिर देखें आप कितना निखरते हैं

kots news: कोचिंग सिटी कोटा में युवा कथावाचक सिवनी मध्यप्रदेश की 17 साल की कथावाचक अनन्या शर्मा ने राम मंदिर में भागवत कथा की। इस दौरान उन्होंने कोचिंग स्ट़ूडेन्ट्स व अन्य छात्रों को सफलता के सूत्र बताए।

Google source verification

कोटा

image

Hemant Sharma

Aug 17, 2024

कोटा. (हेमंत शर्मा).हार कर भी कभी हारें नहीं। ठोकर भी सबक देती है। तन व मन को लक्ष्य पर केन्दि्रत करें, फिर देंखें आप कितना निखरते हैं। यह बात कोटा प्रवास के दौरान पत्रिका सिवनी मध्य प्रदेश की 17 वर्षीय कथा वाचक अनन्या शर्मा ने पत्रिका से कही।

श्रीराम मंदिर जंक्शन में चातुर्मास के तहत हो रहे आयोजनों के दौरान अनन्या ने भागवत कथा का वाचन किया है।विशेष रूप से स्टूडेंन्टस के लिए उन्होंने धैर्य व अनुशासन व ध्यान योग को सफलता का मूलमंत्र बताया। सिवनी मध्यप्रदेश की अनन्या जब 11 वर्ष की थी तो अचानक कथा करने के भाव जागे। देश भर में भागवत व नानी बाई का मायरा कर चुकी है। पढ़ाई में भी अव्वल है

प्रस्तुत है अनन्या शर्मा से बातचीत के प्रमुख अंश-

Q.कैसे शुरुआत हुई कथा की

A.सिवनी मध्यप्रदेश में जया किशोरीजी की कथा चल रही थी। मैं रोज ठाकुरजी को सजाकर ले जाती थी। एक दिन कुछ ऐसे संकेत मिले कि जैसे मैं इस कार्य के लिए हूं। मैने अपने पापा अतुल शर्मा व मां रेखा के समक्ष बात रखी, वे चिंता में पड़ गए, फिर बाले आपको डॉक्टर, आईएएस बनना है। मैं बोली आप पिता हैं, वो परमपिता हैं, वे गंभीर हो गए। आखिर 3 दिन बाद 17 मार्च 2019 को उनकी अनुमति मिल गई। संयोग ऐसा रहा कि मात्र 13 दिन बाद 1 अप्रेल से नानी बाई की कथा बुक हो गई। तब में 11 साल की थी।

Q. पहली कथा कैसे की ?

A. परिवार में धार्मिक माहौल शुरू से है,लेकिन इस बीच मैने कथा का अध्ययन किया। स्कूल में भी मंच पर प्रस्तुतियां देती थी, ऐसे में कोई परेशानी नहीं हुई, आखिर 1 अप्रेल को व्सास पीठ पर बैठ गई, फिर ईश्वर की ही कृपा बरसी की पहली ही कथा में 5000 के करीब लोग शामिल हुए।

Q.पढ़ाई व कथा में कैसे तालमेल बिठाती हैं,खास तौर पर 12 की परीक्षा में कैसे मैनेज किया?

A. दोनों का अपना महत्व है। परीक्षा से करीब एक माह पहले पूरी तरह से पढ़ाई में लग जाती हूंं। कॉमर्स विषय के साथ 12वीं बोर्ड में 88.6 परसेंट अंक प्राप्त किए। भागवत कथा में पीएचडी करना चाहती हूं।

Q. धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में यूथ आगे आए हैं, क्या कारण है?

A.धर्म कहीं न कहीं भारतीय लोगों के मूल में रचा बसा है। इसमें हमारे अध्यात्म गुरुओं के ज्ञान का योगदान है। जयाकिशोरीजी ने भी बड़ा रोल अदा किया है। यूथ काफी प्रभावित हुए। बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्र शास्त्री, प्रदीप मिश्रा जी समेत अन्य से यूथ प्रभावित हो रहे हैं। जहां शुचिता होती है, वहां प्रभाव तो पड़ता ही है।यह अच्छा संकेत है।

Q. कोटा में डेढ़ से 2 लाख कोचिंग के बच्चे आते हैंं, कुछ अप्रिय घटनाओं से मनोबल गिरता है, क्या समाधान हो सकता है?

A. जीवन में हार- जीत चलती रहती है। कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। जीवन में सफलता के कई अवसर होते हैं। हम अपनी रूची के अनुरूप क्षेत्र में प्रयास करें। यदि आपका लक्ष्य आपके अनुरूप है और लक्ष्य के मुताबिक मेहनत कर रहे हैं तो कोई बाधा सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती। ठोकर भी सबक देती है, सोचकर चलें कि कहीं कोई कमी रह गई होगी। पहले से बेहतर करें, फिर देखें आपक कितना निखरते हैं।

Q.बच्चों के लिए कोई सूत्र?

A. नियमित रूप से थोड़ा ध्यान व योग अवश्य करेें। मोबाइल का उपयोग सकारात्मकता के साथ करें। ईश्वर के साथ माता पिता का स्मरण जरूर रखें कि उनके लिए आप कितने जरूरी हैं। मैं समझती हूं ऐसा सोचने के बाद कोई गलती नहीं होगी, नकारात्मकता नहीं आएगी।धैर्य व अनुशासन के साथ आगे बढ़ते जाएं।

Q.अभिभावकों के लिए कोई मैसेज

A. हर माता पिता व परिजन बच्चों की भलाई के ही बारे में सोचते हैं, फिर भी बच्चों को उसकी रूचि के अनुरूप कॅरियर चयन करने का अवसर देंगे तो वह 40 फीसदी योग्या रखने के बावजूद 100 फीसदी अर्जित कर लेगा, और कोई बच्चा 100 फीसदी देने का सामर्थ्य भले ही रखता हो, लेकिन कोई कार्य उसकी रूचि के अनुसार नहीं होगा तो 40-50 फीसदी भी परिणाम नहीं दे सकेगा। प्रतियोगिता के दौर में हर बच्चे पर प्रेशर होता है, कोई किस तरह से लेता है, यह अलग बात है, लेकिन हमारा मेंटल सपोर्ट उसे ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।