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अपना दुखड़ा कम नहीं, दूसरों का सुनते हैं… किराया अधिकरण अदालत चल रही है किराए के भवन में…

मोटर वाहन दुर्घटना दावा और श्रम न्यायालय समेत कई अदालतें जगह के अभाव में दूसरे भवनों में चल रही हैं।

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कोटा . मोटर वाहन दुर्घटना दावा और श्रम न्यायालय समेत कई अदालतें जगह के अभाव में दूसरे भवनों में चल रही हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद निस्तारण के लिए गठित किराया अधिकरण अदालत भी किराए के भवन में चल रही है। इसकी मुख्य अदालत परिसर से दूरी भी अधिक है। ऐसे में पक्षकार व वकील तक चक्करघिन्नी हो रहे हैं।

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कोटा जजशिप के अधीन करीब 56 अदालतें हैं। जिनमें से करीब एक चौथाई अदालतें किराए के भवन व दूसरे भवनों में संचालित हैं। वहीं किराया अधिकरण अदालत कराये के भवन में संचालित तो है ही अदालत परिसर से राजभवन रोड पर एसबीआई बैंक के सामने गली में है। करीब दो साल से यहां संचालित इस अदालत में सबसे अधिक मामले वरिष्ठ वकीलों के पास हैं। मामलों में उन्हें मुख्य अदालत से बार-बार जाना पड़ता है। पक्षकारों को भी जगह का पता नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ रही है। जिस भवन में यह अदालत संचालित है वहां का किराया करीब 20 से 25 हजार रुपए महीना है। किराया अधिकरण अपील अदालत के लिए जगह की कमी होने से इसका कार्यालय एनडीपीएस अदालत के भवन में ही एक कमरे में है।

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एनआई एक्ट क्रम 4 समेत अन्य अदालतें भी दूसरे भवनों में
किराया अधिकरण अदालत के सामने ही दूसरे भवन में एनआई एक्ट क्रम-4 अदालत भी किराए के भवन में संचालित है। इसके पास ही मोटर वाहन दुर्घटना की दोनों अदालतें किराए के भवन में ऊपर नीचे चल रही हैं। दुर्घटनाग्रस्त पक्षकारों को ऊपरे माले पर चढऩे-उतरने में परेशानी होती है। तीनों पारिवारिक न्यायालय भी गांवड़ी में किराए के भवन में चल रही हैं।

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कलक्ट्रेट भवन में ये अदालतें
मुख्य अदालत परिसर में जगह की कमी के कारण श्रम एवं औद्योगिक विवाद न्यायालय, 3 उत्तर, 2 दक्षिण, 5 दक्षिण और किशोर न्याय बोर्ड (बाल न्यायालय) रावतभाटा रोड नयागांव स्थित बाल सम्प्रेषण गृह परिसर में चल रही है।
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश चंद गुप्ता का कहना है कि किराया अधिकरण अदालत से मुख्य अदालत तक आना जाना परेशानी भरा है। किराया अधिकरण के अधिकतर मुकदमें बुजुर्ग वकीलों के पास हैं। अदालत चौराहे पर ट्रेफिक अधिक होने से हादसे की संभावना भी बनी रहती है। छोटा भवन होने से जगह भी कम है। एक साथ कई वकीलों व पक्षकारों को खड़े होने में भी दिक्कत आती है। इसे कलक्ट्री के खाली भवन में शिफ्ट कर देना चाहिए।

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अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोजपुरी एडवोकेट का कहना है कि ऐसी अदालतों को एडीआर के बड़े भवन में या कलक्ट्रेट में खाली कमरों में शिफ्ट कर देना चाहिए। 2013 में भी किराया अधिकरण को इसी अदालत में संचालित किया था। इसे अदालत में लाने के लिए जिला न्यायाधीश व प्रशासन से बात करेंगे।