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बीमारियों की चपेट में लोग, चिकित्सक नदारद

सोमवार को भी यहां महज दो चिकित्सक मरीजों का उपचार करते मिले। ऐसे में यहां उपचार की उम्मीद में पहुंचे मरीज एवं उनके तीमारदारों को लाइनों में लगना पड़ा

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बीमारियों की चपेट में लोग, चिकित्सक नदारद

बीमारियों की चपेट में लोग, चिकित्सक नदारद

सांगोद (कोटा). बढ़ती गर्मी के साथ ही लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। इस स्थिति के बावजूद यहां मरीजों को पर्याप्त चिकित्सक नहीं मिल रहे। मरीजों की सुविधा को लेकर विभाग ने कागजों में चिकित्सकों की पर्याप्त नियुक्ति कर रखी हैं। फिर भी मरीजों को चिकित्सक नहीं मिल रहे। सोमवार को भी यहां महज दो चिकित्सक मरीजों का उपचार करते मिले। ऐसे में यहां उपचार की उम्मीद में पहुंचे मरीज एवं उनके तीमारदारों को लाइनों में लगना पड़ा। उल्लेखनीय है कि गर्मी बढऩे के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढऩे लगी हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का आउटडोर भी दुगुना हो गया। सोमवार को भी यहां साढ़े चार सौ से अधिक मरीज उपचार करवाने पहुंचे थे। मरीजों की संख्या बढऩे के बावजूद अस्पताल की व्यवस्थाएं बिगडऩे लगी है। सोमवार को भी यहां दो ही चिकित्सक होने से मरीज परेशान रहे।
कागजों में कार्यरत
यहां अस्पताल में मरीजों की सुविधा को लेकर कहने को तो 9 चिकित्सक कार्यरत हैं। लेकिन यहां कभी पूरे चिकित्सक मरीजों को एक साथ नहीं मिलते। सोमवार को भी इनमें से चार चिकित्सक एक साथ अवकाश पर थे। महज दो चिकित्सक डॉ. आरसी पारेता व डॉ. रविकांत मीणा मरीजों की जांच करते मिले। मरीजों की संख्या अधिक व चिकित्सक कम होने से मरीजों को कतारों में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।
महिला मरीज भी परेशान यहां स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत तीन महिला चिकित्सकों में से सोमवार को एक भी महिला चिकित्सक नहीं थी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि एक महिला चिकित्सक को विभाग ने शिविरों में लगा रखा है। वहीं जिस महिला चिकित्सक पर अस्पताल की व्यवस्थाओं का सारा दारोमदार है वो आए दिन अवकाश पर या अनुपस्थित रहती है। ऐसे में यहां आने वाली महिला रोगियों को न चाहते हुए भी पुरुष चिकित्सकों के भरोसे उपचार करवाना पड़ रहा है। चिकित्सक की अनुपस्थिति या अवकाश के बाद यहां सोनोग्राफी जांच ठप हो जाती है। मजबूरन जरूरत पर लोगों को निजी केंद्रों पर जेब ढीली करनी पड़ती है। गर्भवती महिलाओं की जांच एवं प्रसव के लिए आने वाली प्रसूताओं को भी निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है।