
Tiger Special : रणथम्भौर में 70 टाइगर्स के बीच वर्चस्व की लड़ाई, अब चम्बल की वादियों में सल्तनत की तलाश
कोटा. अपना आशियाना बनाने, नए क्षेत्र की टोह लेने या फिर टकराव के बाद उपजी स्थिति से बचने के लिए रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से लगातार बाघ बाहर निकल रहे हैं। करीब 9 वर्ष पहले टी-35 ने टाइगर रिजर्व को छोड़ा और सुल्तानपुर के जंगलों में आ बसी। करीब डेढ़ वर्ष पहले टाइगर टी-91 ने रामगढ़ की राह पकड़ी फिर वहीं का होकर रह गया। इसे बाद रेस्क्यू कर मुकुन्दरा हिल्स में शिफ्ट किया गया। अब एक ओर बाघ ने सुल्तानपुर के जंगलों में दस्तक दी है। जानकारों के अनुसार इस बाघ की सुरक्षा का वन विभाग को विशेष ध्यान रखना होगा। इसे सेल्जर क्षेत्र में लाकर मुकुन्दरा हिल्स की रौनक बढ़ाई जा सकती है।
खाली है सेल्जर एनक्लोजर
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क्षेत्र में पर्याप्त पानी व भोजन है, फिर भी इस टाइगर को मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में लाकर शिफ्ट किया जा सकता है। पूर्व वन अधिकारी दौलतसिंह चौहान के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से इजाजत लेकर इसे मुकुन्दरा हिल्स में शिफ्ट किया जा सकता है। मुकुन्दरा में बाघ शिफ्टिंग की योजना के तहत पूर्व में सेल्जर क्षेत्र में एनक्लोजर बनाया गया था, लेकिन बाद में दरा में एनक्लोजर बनाकर बाघ एमटी-1 व एमटी-2 को इसमें छोड़ा गया। अब रणथंभौर से बाघ इस ओर आया है तो विभाग चाहे तो इसे सेल्जर में शिफ्ट कर सकता है। यह एनक्लोजर 1 हैक्टेयर का है और काफी सुरक्षित भी है।
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तलाश रहे अपना वजूद
दौलतसिंह के अनुसार रणथम्भौर में बाघों की संख्या अधिक होने से बाघ अपनी टैरेटरी बनाने के लिए जगह छोड़ देते हैं। कई बार संघर्ष व टकराव के बाद नई राह चुन लेते हैं। रणथम्भौर में 70 के करीब बाघ हैं। इस स्थिति में बाघ वहां से निकल रहे हैं।
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ये है आने का रूट
बाघ रणथम्भौर से निकलकर कमलेश्वर महादेव, इन्द्रगढ़, लाखेरी होते हुए सुल्तानपुर व रामगढ़ आ रहे हैं। नर बाघ ही ज्यादा निकल रहे हैं। इसका कारण उनमें संघर्ष ज्यादा होता है।
तो हो जाए कोटा पूरा
मुकुन्दरा में यदि सुल्तानपुर में घूम रहे बाघ को शिफ्ट कर दिया जाए तो 2017 की योजना के तहत 2 बाघों का कोटा पूरा हो सकता है। मुकुन्दरा में 2 बाघ व 3 बाघिनों को लाकर बसाने की योजना बनी थी। बाद में एक बाघ व दो बाघिनों की शिफ्टिंग तय हुई। फिलहाल एमटी-1 व एमटी-2 को यहां बसाया गया है।
Published on:
22 Jan 2019 09:00 am
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