Tigress 'Kankati' In Mukundra Wildlife Sanctuary: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को एक और बाघिन की सौगात मिली है। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की प्रसिद्ध बाघिन ऐरोहेड की बेटी आरबीटी-2507 को गुरुवार को एनटीसीए की गाइड लाइन के तहत दोपहर 3 बजे बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया। यह स्थानांतरण करीब दो साल के लंबे इंतजार के बाद हुआ है। उसे दरा क्षेत्र स्थित एनक्लोजर में छोड़ा गया है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघिन की 24 घंटे निगरानी की जाएगी। इससे पहले सुबह 9.32 बजे के करीब बाघिन को रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय निदेशक अनूप केआर, उपवन संरक्षक डॉ. रामानंद भाकर, मुकुंदरा जिर्व के उपवन संरक्षक मुथु एस की मौजूदगी में ट्रेंकुलाइज किया गया। स्वास्थ्य परीक्षण व रेडियोकॉलर लगाकर उसे मुकुन्दरा के लिए रवाना कर दिया। दोपहर 3.38 बजे मुकुंदरा में शिफ्ट कर दिया। अब यहां बाघ-बाघिन की कुल संख्या 5 हो गई।
पिछले दिनों सवाईमाधोपुर में एक बालक व क्षेत्रीय वन अधिकारी पर हमले के बाद बाघिन को रणथम्भौर के नाका भिड के एनक्लोजर में छोड़ा गया था, जहां वन विभाग की टीम पहुंची और उसे ट्रेंकुलाइज किया।
बाघिन आरबीटी-2507 की सॉफ्ट रिलीज कर एनक्लोजर में रखा गया है। एनटीसीए के प्रोटोकॉल के अनुसार उसकी सतत निगरानी की जा रही है।
सुगनाराम जाट, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) कोटा एवं क्षेत्र निदेशक, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में आने वाले समय में बाघिनों का दबदबा बढ़ता दिखाई देगा। हाल ही यहां बाघ, बाघिन और शावकों सहित कुल संख्या पांच हो गई है। इनमें एक बाघ, तीन बाघिन और एक शावक शामिल है। यह शावक हाल ही बाघिन एमटी-6 ने जन्मा है। आमतौर पर बाघों का आदर्श रेशियो एक बाघ के मुकाबले तीन बाघिनों का माना जाता है। वर्तमान में रिजर्व में आरबीटी-2507 और अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से लाई गई बाघिन सब-एडल्ट हैं।
आक्रामक बाघिन कनकटी को रणथंभौर टाइगर रिजर्व (भिड़ नाका क्षेत्र) से मुकुंदरा लाने का अभियान रणथंभौर के डीएफओ डॉ. रामानंद भाकर के नेतृत्व में चला। इसमें कोटा डीएफओ मुथु एस, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राजीव गर्ग, वन विभाग के वेटरनरी ऑफिसर डॉ. सीपी मीणा, एसीएफ तेजस पाटिल, फील्ड बायोलॉजिस्ट मोहम्मद मैराज, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रोजेक्ट ऑफिसर राजशेखर, क्षेत्रीय वन अधिकारी रामखिलाड़ी मीणा और रेस्क्यू टीम के जसकरण सिंह शामिल थे। इस दौरान उपवन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक, एनटीसीए के प्रतिनिधि दौलतसिंह शक्तावत, डॉ. तेजिंदर रियाड और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। यह बाघिन एरोहेड टी-84 व बाघ टी-120 की संतान है। एक कान कटा होने से इसे लोग कनकटी कहने लगे। रणथंभौर में नेचर गाइड शाकिर अली के अनुसार इसका ज्यादा मूवमेंट रणथंभौर फोर्ट के आसपास रहा। रिद्धि से फाइट कर चुकी है।
बाघिन की मां एरोहेड बोन ट्यूमर से ग्रसित थी, इस कारण मां से शिकार करना नहीं सीख सकी। ऐसे में इसे जीवित शिकार देना शुरू किया गया। यह अपने भाई के साथ मिलकर शिकार करती थी। शाकिर बताते हैं कि ऐसा कम ही होता है। सभी बाघ अपना शिकार खुद करते हैं, लेकिन इसकी मां एरोहेड भी इसके किए शिकार को ग्रहण कर लेती थी।
रणथंभौर से एक और बाघ लाने की योजना है, जिसकी शिफ्टिंग शीघ्र हो सकती है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से रामगढ़ व मुकुंदरा में बाघ-बाघिनों को लाने की भी संभावनाएं हैं।
वन्यजीव प्रेमी मुकेश सिट ने कहा कि मुकुंदरा में अपार संभावनाएं हैं। अब पुराने विवादों को पीछे छोड़कर टाइगर रिजर्व पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। गांवों का विस्थापन, पर्याप्त प्रे-बेस की उपलब्धता और आमजन में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। वन और वन्यजीवों के प्रति जनभागीदारी बढ़ाना समय की मांग है।
नवंबर 2022 में रणथंभौर से बाघ टी-110 को मुकुंदरा में छोड़ा गया था, जिसे अब एमटी-5 के नाम से जाना जाता है।
उसकी जोड़ीदार बाघिन एमटी-6 को 9 अगस्त 2023 को मुकुंदरा हिल्स में शिफ्ट किया गया।
इन दोनों की जोड़ी है, जिन्होंने हाल ही में एक शावक को जन्म दिया है। इस शावक को 11 जून को बाघिन एमटी-6 के साथ देखा गया था।
एक अन्य सब-एडल्ट बाघिन को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से दरा क्षेत्र स्थित 5 हैक्टेयर के एनक्लोजर में शिफ्ट किया गया है।
अब पांचवें सदस्य के रूप में बाघिन ’कनकटी’ को मुकुंदरा में लाया गया है।
3 अप्रेल 2018 : रणथंभौर से बाघ टी-91 को मुकुंदरा में छोड़ा गया, जिसे एमटी-1 नाम दिया गया।
19 दिसंबर 2018 : बाघिन टी-106 को लाया गया, जिसे एमटी-2 नाम दिया गया।
9 फरवरी 2019 : बाघ टी-98 स्वाभाविक रूप से मुकुंदरा पहुंचा और एमटी-3 नाम से जाना गया।
12 अप्रेल 2019 : बाघिन टी-83 को लाया गया और एमटी-4 नाम दिया गया। एमटी-3 की जोड़ीदार।
जून 2020 : बाघिन एमटी-2 के दो शावक सामने आए, जिससे बाघों की संख्या 6 हो गई।
बाघिन एमटी-4 ने भी शावकों को जन्म दिया, लेकिन वन विभाग ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की।
Published on:
20 Jun 2025 10:37 am