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#Rail_Direl: सफर लम्बा हो या छोटा, खत्म नहीं होती मुसाफिरों की समस्या

लोकल पैसेंजर ट्रेनों का जायजा लेती हमारी यह न्यूज सीरिज एक कोशिश है ट्रेनों में सफर के जोखिम को सरकार के सामने रखने की।

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कोटा

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ritu shrivastav

Dec 01, 2017

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समस्याओं भरा सफर

कोटा से गुजरने वाली ट्रेनों की स्थिति बेहद खराब है। सुरक्षा के प्रबंध नहीं होने से रात में वारदात की आशंका बढ़ जाती है। चुनौतियों से निपटते हुए खुद गंतव्य तक पहुंचते हैं यात्री। वहीं ऑल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा का भी यही कहना है कि देश को अभी बुलेट ट्रेन की जरूरत नहीं है। मौजूदा ट्रेनों की हालत सुधारने की जरूरत है। संरक्षा बढ़ाने के लिए रिक्त पदों को भरना होगा। रेलपथ और रोलिंग स्टॉक की निगरानी बढ़ानी होगी।

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गश्त नहीं होने से मनचलों की मौज
16 नवंबर
गाड़ी संख्या 59355, रतलाम मथुरा पैसेंजर
रूट : रामगंजमंडी से कोटा

रामगंजमंडी से वापसी में रतलाम मथुरा पैसेंजर का सफर किया तो यहां स्थिति सबसे खराब नजर आई। अमूमन लेटलतीफ ट्रेन में भीड़ अधिक रहती है। ट्रेन में स्कूली छात्राओं को मनचले परेशान करते दिखाई दिए। ट्रेन में गश्त का नहीं होना सबसे विकट समस्या है। डेली अप डाउन करने वाले टीचर व बैंक का स्टाफ भले ही पढ़ा-लिखा हो, लेकिन इनकी गलत आदतों से दूसरे परेशान रहते हैं। कई लोग ताश के पत्ते खेलने लगे। लोग शौचालय की ओर जाते तो ये लोग नहीं हटते। महिलाओं को परेशानी हुई।

यात्रियों की जुबानी: किससे करें शिकायत
यात्रियों का कहना था कि लोकल ट्रेन में गरीब तबके के यात्री ज्यादा सफर करते हैं और अमूमन कम पढे़ लिखे होते हैं। मोबाइल चलाना भी नहीं जानते। लोकल ट्रेन के डिब्बों में किसी भी समस्या को लेकर शिकायत करनी हो तो उसके लिए हेल्पलाइन नम्बर होना चाहिए, ताकि किसी भी समस्या से पुलिस या रेल प्रशासन को अवगत करा सके या मैसेज कर सकें। ट्रेन की हालत- कोच में ही नीचे बह रहा था पानी। बिना कुंडी के शौचालय गेट। स्वच्छता मिशन को चिढ़ाती गंदगी की सड़ांध। शौचालय में था ही नहीं पानी।

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ठस जाती है दूध के चरों से
16 नवम्बर
गाड़ी संख्या59831, कोटा-बड़ोदरा पैसेंजर
रूट: कोटा से रामगंजमंडी

कोटा-बड़ोदरा पैसेंजर सुबह 9.45 बजे कोटा से रवाना हुई। सफर के दौरान पत्रिका टीम यहां भी बुरे हालात से ही रूबरू हुई। यात्रियों की सुध लेने वाला कोई नहीं था। इस ट्रेन में अप-डाउनर ज्यादा सफर करते हैं। सुरक्षा व्यवस्था का यहां भी बुरा हाल है। आरपीएफ व जीआरपी ट्रेनों में गश्त नहीं करती। टिकट चैकिंग स्टाफ कभी-कभार आता है। माह में तीन या चार बार चैकिंग होती है। सुबह का समय होने से कई दूध वाले अपने दूध के चरों के साथ इसमें सफर करते हैं और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं है। गैलरी में दूध के चरे रखे रहते हैं।

यात्रियों की जुबानी: जगह-जगह पिटती जाती है
लोकल ट्रेन होने की वजह से यह हर स्टेशन पर रुकती है। कोटा से रामगंजमंडी के बीच आने वाले अधिकांश स्टेशनों पर जन सुविधाओं का अभाव दिखा। इस ट्रेन की विकट समस्या रास्ते में कहीं भी रुक जाने की भी है। लम्बे समय तक दूसरी ट्रेनों को पास करने के इंतजार में इसे रोक दिया जाता है। यात्री घंटों परेशान होते हैं। ट्रेन में हमने कई लोगों से बात की तो सामने आया कि लोकल ट्रेनों में भी महिला कोच होना चाहिए। महिलाएं लोकल ट्रेन में असुरक्षित महसूस करती हैं। भीड़ अधिक होने से लोग परेशान करते हैं। एक-एक सीट पर पांच से छह लोग बैठ जाते हैं।

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बड़ी चुनौती भिखारियों से निपटना
24 नवम्बर
गाड़ी संख्या 51611, कोटा बीना पैसेंजर
रूट: कोटा से बारां

कोटा-बीना पैसेंजर का सफर भी बाकी लोकल ट्रेनों के समान ही रहा। कोटा से बारां जाने वाले यात्री इस ट्रेन में अधिक सफर करते हैं। इसमें भी खाने व चाय नाश्ते की समस्या आती है। न तो स्टेशनों पर कोई खाने की ठीक व्यवस्था है और न ही ट्रेनों में कोई आता है। छोटे स्टेशनों पर शौचालय टूटे पड़े हैं। जहां है उनमें पानी नहीं आता। भिखारियों से भी लोग परेशान हैं। यात्रियों का कहना था कि यदि समय पर पुलिस गश्त होती रहे तो आधी समस्या का समाधान हो जाएगा।