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अजर-अमर रहेंगे नीरज के गीत व नाम

राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों ने नीरज को दी श्रद्धांजलि  

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gopal das neeraj

अजर-अमर रहेंगे नीरज के गीत व नाम

कोटा. हिंदी भाषा के पुरोधा, गीतकार पद्मश्री गोपालदास नीरज के निधन पर शुक्रवार को शहर के हिंदी, राजस्थानी भाषा के साहित्यकार, कवि, गीतकारों ने आकाशवाणी कॉलोनी क्षेत्र में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। सभा में हिंदी गीतकार जगदीश सोलंकी ने कहा कि नीरज की मंचीय उपस्थिति को कवि अपना सौभाग्य समझते थे। नीरज से अन्य मंचस्थ कवियों को अपार स्नेह, आशीर्वाद मिला। उन जैसा हिन्दी गीतकार कोई दूसरा न हुआ और न होगा। वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। यूपी इटावा के एक छोटे से गांव पुरवली से चलकर उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, वह अकल्पनीय है। राजस्थानी गीतकार दुर्गादान सिंह गौड़ ने कहा कि महामना नीरज ने गीत नहीं वेदों के समकक्ष ऋचाओं की रचना की है। उनके गीत आज भी शाश्वत हैं। उन्होंने कभी परिस्थितियों से समझौता नहीं किया। गीतों की विधा को हिंदी भाषा में असीमित ऊंचाइयां दी हैं। उनके गीत, नाम अजर-अमर रहेंगे।

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गीतकार मुकुट मणिराज ने कहा कि नीरज हिन्दी गीत के पर्याय हैं। जिन्होंने अमर गीतों की रचना कर गीत विधा को इस मुकाम तक पहुुंचा दिया, जो देश का एक मात्र व्यक्ति हैं। उन्हें इस विलक्षण प्रतिभा के बूते ही पद्मश्री, पद्मभूषण, 3 बार फिल्म फेयर अवार्ड मिला। गत वर्ष दशहरा मेला में भी नीरज को निगम की ओर से साहित्यश्री से सम्मान से विभूषित किया। इस दौरान विश्वामित्र दाधीच, गोरस प्रचंड, निशामुनि गौड़, अम्बिकादत्त चतुर्वेदी, रामनारायण हलधर, प्रेम शास्त्री, गोविन्द हांकला, किशन वर्मा, आनंद हजारी, राजेन्द्र पवांर आदि ने भी विचार व्यक्त किया।