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राजस्थान और मध्यप्रदेश में ​छिड़ी पानी जंग, पड़ जाएंगे राेटी के लाले

एमपी ने पानी रोका तो राजस्थान ने बंद कर दी नहरें, कोटा बैराज से दाईं व बांई मुख्य नहर में जल प्रवाह सोमवार देर रात से बंद।

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कोटा

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ritu shrivastav

Nov 14, 2017

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गांधी सागर बांध

मध्यप्रदेश व राजस्थान का चम्बल के पानी के बंटवारे का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा। पार्वती एक्वाडक्ट पर पूरा पानी नहीं मिलने से खफा मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग ने गांधी सागर से तीन दिन से जल प्रवाह बंद कर रखा है। वहीं राणा प्रताप, जवाहर सागर व कोटा बैराज से दाईं मुख्य नहर में 6250 क्यूसेक पानी छोड़ कर मध्यप्रदेश को पार्वती एक्वाडक्ट पर 2830 क्यूसेक पानी पहुंचाया जा रहा है। इससे राजस्थान की सीमा पर बने तीनों बांधों का जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। एेसे में अब बांधों का जल स्तर नियंत्रित करने के लिए राजस्थान के जल संसाधन विभाग ने सोमवार रात दो बजे से दाईं व बांई मुख्य नहर से जल प्रवाह पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया।

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राजस्थान ने पानी देने का पूरा प्रयास किया

मध्यप्रदेश को 10 नवम्बर तक 3000 क्यूसेक पानी पार्वती एक्वाडक्ट पर नहीं मिलने से खफा मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग ने गांधी सागर बांध से जल प्रवाह घटाना शुरू कर दिया है। तीन दिन में गांधी सागर बांध से जल प्रवाह 8448 से घटाकर 2414 क्यूसेक कर दिया है। गांधी सागर से पानी घटाने के बाद राजस्थान के जल संसाधन विभाग ने समझौते के मुताबिक एक बार फिर से पार्वती एक्वाडक्ट पर 3000 क्यूसेक पानी पहुंचाने कवायद शुरू कर दी है। विभाग द्वारा राजस्थान सीमा में दाई मुख्य नहर से निकल रही ब्रांच, सब ब्रांच, माइनरों में जल प्रवाह कम करके पार्वती एक्वाडक्ट पर पूरा पानी पहुंचाने की कवायद की जा रही है। वहीं पानी की निगरानी के लिए विभागीय अभियंताओं द्वारा नहरों की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है।

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गेंहू पर होगा सीधा असर

दोनों राज्यों के बीच पानी की यह जगं इसी तरह चलती रही तो यहां के लाखों किसानों को रबी की फसल की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएंगा। इसका सबसे ज्यादा नुकसान गेंहू की फसल को हाेगा। 124 किमी लम्बी दाईं मुख्य नहर की सहायता से दोनों राज्यों के लाखों किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। इसका भी 60 प्रतिशत हिस्‍सा गेंहू की फसल के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बाद चना, मूंग सरसों अादि फसलों के लिए उपयोग किया जाता है। ऐसे में पानी को लेकर दोनाें राज्यों में छिड़ी जंग का सीधा असर आने वाली फसलों पर पड़ेगा।

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लेवल मेंटेन रखना है

राजस्थान सीएडी के मुख्य अभियंता चौथमल चौधरी ने कहा कि जब गांधी सागर से पूरा पानी नहीं मिल रहा तो हम क्यों अपने बांध खाली कर मध्यप्रदेश को पानी दें। हमें अपने बांध का लेवल भी तो मेंटेन रखना है। जब लेवल मेंटेन होगा तो दुबारा से पानी छोड़ दिया जाएगा। उधर मध्यप्रदेश के मुख्य अभियंता एन.पी. कोरी का कहना है कि शुरू से ही हमारी पार्वती एक्वाडक्ट पर 3900 क्यूसेक पानी की मांग है। जबकि राजस्थान द्वारा पार्वती एक्वाडक्ट पर मात्र 2200 क्यूसेक पानी पहुंचाया जा रहा है। एेसे में मजबूरी में गांधी सागर से पानी बंद करना पड़ा। सोमवार से गांधी सागर से 22000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया है।

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नहीं पहुंच रहा पूरा पानी

जल संसाधन विभाग से प्राप्त सूत्रों ने के अनुसार गांधी सागर बांध से 11 नवम्बर को 8448 क्यूसेक पानी चम्बल में छोड़ा जा रहा था। इसके बाद 12 नवम्बर को जल प्रवाह घटाकर 5176 क्यूसेक कर दिया गया। वहीं 13 नवम्बर को जल प्रवाह और भी घटाकर 2414 क्यूसेक कर दिया। वर्तमान में गांधी सागर बांध से औसत 2414 क्यूसेक पानी चम्बल में छोड़ा जा रहा है। कोटा बैराज से निकल रही दाईं मुख्य नहर से पार्वती एक्वाडक्ट पर 10 नवम्बर को 2707, 11-12 नवम्बर को 2766, 13 नवम्बर को दिनभर 2830 क्यूसेक पानी पहुंचाया गया।

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पानी की निगरानी पर मप्र ने लगाए 10 अभियंता
मप्र को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिलने पर मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग ने नहर की निगरानी के लिए 10 अभियंता लगा दिए हैं। जो लगातार राजस्थान की नहरों की मॉनीटरिंग कर रहे हैँ। जिनके साथ राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अभियंता भी लगे हुए हैं। जिनके द्वारा कैनालों में चल रहे पानी की मॉनिटरिंग की जा रही है। एमपी के अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान नहर में अधिक पानी छोड़ेगा तो, मप्र द्वारा लगाए गए अभियंता अफसरों रिपोर्टिंग करेंंगे। श्योपुर के कार्यपालन यंत्री पार्वती एक्वाडक्ट से अंता तक मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वहीं कोटा में मौजूद मप्र के कार्यपालन यंत्री नवीन गौड़ अंता से कोटा तक नहर की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।