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यह कैसी नि:शुल्क शिक्षा : बच्चों से वसूल रहे 3000 रुपए तक शुल्क

मनमानी : -अनिवार्य नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन -सरकारी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में नए प्रवेश लेने वाले बच्चों से विकास शुल्क वसूला -आरटीई के तहत नहीं ले सकते कोई भी शुल्क

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के. आर. मुण्डियार
कोटा .

कोरोना काल में निजी विद्यालयों की ओर से फीस लेने के विवाद के बाद अब सरकार के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों से मनमर्जी से शुल्क वसूली शुरू हो गई है।
प्रदेश के जयपुर, कोटा (Kota) व सीकर (Sikar ) के विद्यालयों में नए प्रवेशित एवं पिछले सालों में प्रवेश ले चुके विद्यार्थियों से विकास शुल्क की वसूली की जा रही है। कोटा में जिन नए प्रवेशित बच्चों से विकास शुल्क लिया गया है, उनमें से अधिकतर की आयु 14 वर्ष से कम है और आठवीं कक्षा तक के हैं।
नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत इन 6 से 14 आयु वर्ष के बच्चों से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जा सकता, लेकिन विद्यालयों में 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों के साथ प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों से भी शुल्क लिया जा रहा है।


जयपुर, कोटा व सीकर में शुल्क, अन्य जिलों में नहीं
जयपुर शहर में पांच महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल हैं। यहां पर करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इनमें एक हजार रुपए प्रति बच्चे से विकास शुल्क लिया जा रहा है। हालांकि कुछ स्कूलों में एक से 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों से अनिवार्य रूप से विकास शुल्क लिया जा रहा है तो कुछ स्कूलों में एक से आठवीं तक विकास शुल्क अनिवार्य नहीं है। इन बच्चों के लिए स्वैच्छिक है। शेष नौ से 12 वीं कक्षा के लिए शुल्क अनिवार्य है। कोटा जिले में 6 सरकारी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में नए प्रवेश लेने वाले प्राथमिक कक्षाओं के 258 बच्चों से कुल 2 लाख 59 हजार का विकास शुल्क लिया गया है।


9 स्कूलों ने वसूले शुल्क
सीकर जिले में 11 स्कूलों में से 9 स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक नए प्रवेश वाले 357 बच्चों से कुल 59650 रुपए का शुल्क लिया है, 8वीं कक्षा तक किसी से शुल्क नहीं लिया है। जोधपुर (Jodhpur ), अजमेर (Ajmer ), बीकानेर , अलवर, धौलपुर के किसी भी स्कूल में बच्चों से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया गया है।


राज्य सरकार तय करे शुल्क
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राथमिक के विद्यार्थियों से शुल्क नहीं लेना चाहिए। साथ ही 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों से शुल्क का निर्धारण सरकार को करना चाहिए, ताकि मनमर्जी से ज्यादा शुल्क वसूल नहीं कर सकें। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों ने विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) के निर्णय की आड़ में अलग-अलग विकास शुल्क वसूल किया है।


1 से 8 तक के विद्यार्थियों से शुल्क नहीं ले सकते
आरटीई नियम के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक के विद्यार्थियों से कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता। एसडीएमसी 9 वीं से 12वीं तक ही बच्चों से विकास शुल्क तय कर सकती है।
-नरेन्द्र शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक), कोटा

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