
सरकारी सिस्टम की बलि चढ़ी एक और जान
कोटा . झालावाड़ जिले के हेमड़ा निवासी 68 साल की कैंसर पीडि़त शांतिबाई की मौत आ गई, लेकिन सरकारी इमदाद नहीं आई। उनके पति कोटा के अस्पताल में डॉक्टरों और नेताओं के चक्कर काटते रहे, चि_ी भेजते रहे, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
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पिड़ावा तहसील की हेमड़ा निवासी शांतिबाई को तीन साल पहले अस्थि मज्जा के कैंसर का पता चला था। वे कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वरिष्ठ नागरिक विभाग में उपचार करा रहीं थीं। कैंसर की दवाएं अस्पताल की सप्लाई में नहीं मिलीं।
उनके पति लक्ष्मीनारायण गुप्ता इधर से उधर परेशान हाल में भटकते, लेकिन दवाएं नहीं मिल पाती। गुप्ता बताते हैं कि न उनके पास जमीन है, न घर का मकान। आर्थिक स्थिति भी कोई अच्छी नहीं। ऐसे में वे इधर-उधर से जुगाड़ कर महंगी दवाएं खरीदते रहे। डॉक्टरों ने फाउलर बेड के लिए कहा, इसके अभाव में बेड सोल होने लगे। उपचार अपनी हद से बाहर जाता देख गुप्ता ने डॉक्टरों से गुहार की।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सहायता योजना के लिए अगस्त 2017 में आवेदन भेजे। कुछ दिन तक जवाब नहीं आया तो फिर नेताओं और जनप्रतिनिधियों के दर पहुंचे। उनसे गुहार की। नतीजा नहीं निकला। इधर बीमारी बढ़ती जा रही थी। उधर मदद की अर्जी कहीं फाइलों से ही बाहर नहीं आ रही थी। गुप्ता ने बताया कि आखिर कुछ दिन पहले शांति बाई की मौत हो गई।
Published on:
18 May 2018 05:04 pm
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