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करियर के लिए मातृत्व सुख को दांव पर लगा रही हैं लड़कियां, बढ़ रहा है कृत्रिम गर्भाधान का चलन

नौकरी, तरक्की और उज्जवल भविष्य की चाहत के चलते 80 फीसदी कामकाजी लड़कियां 35 साल की उम्र से पहले मां नहीं बनना चाहती।

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Working women are growing in craze of artificial fecundation

लड़कों की बराबरी करने के चक्कर में लड़कियां मात्रत्व सुख को दांव पर लगाने से भी पीछे नहीं हट रही हैं। ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 80 फीसदी कामकाजी लड़कियां 35 साल की उम्र से पहले मां नहीं बनना चाहतीं। नौकरी का दबाव और सिगरेट शराब की लत के चलते उनकी गर्भाधान की क्षमता बेहद घटने लगी है। इन सबके चलते कामकाजी महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान का क्रेज बढ़ने लगा है।

राजगायनिकॉन सोसाइटी एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग कोटा की ओर से न्यू मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस शुरू हुआ। इसमें प्रदेश से करीब 500 स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन विशेषज्ञों ने दूरबीन शल्य चिकित्सा कर डॉक्टर्स को गुर सिखाए। साथ ही लेप्रोस्कॉपी, हिस्टरोस्कॉपी, दूरबीन द्वारा बच्चेदानी का ऑपरेशन एवं नवीन तकनीक की लाइव जानकारी दी।

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मातृ सुख से दूर हो रही महिलाएं

एससीबी मेडिकल कॉलेज ओडिसा के गायनॉलोजिस्ट डॉ. पीसी महापत्रा ने कहा कि कॅरियर के चक्कर में महिलाएं मातृ सुख से दूर होती जा रही हैं। मातृत्व सुख के लिए 25 से 30 की उम्र को सबसे ज्यादा सही माना गया है। इस अवस्था में महिलाएं मातृ सुख प्राप्त कर लेती हैं तो आगे उन्हें परेशानी नहीं होती, लेकिन कामकाजी महिलाएं इस उम्र में प्रोफेशनल सक्सेज हासिल करने के चक्कर में पड़ जाती हैं और वह 35 साल के आसपास मां बनना पसंद कर रही हैं। जिसके चलते उन्हें प्राकृतिक तौर पर मां बनने में परेशानी आ रही है। ऐसे में वह कृत्रिम गर्भाधाने की आईवीएफ जैसी तकनीकियों की मदद ले रही हैं।

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बच्चेदानी का संरक्षण बेहद जरूरी

डॉ. राजश्री दीपक गोडकर ने बताया कि क्रांफ्रेंस में बच्चेदानी निकालने को लेकर लोगों में जागरूकता लाने व नई तकनीकों के उपयोग से डॉक्टरों को बच्चेदानी, गांठ व कैंसर से जुडे रोगों का दूरबीन से उपचार की जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज ऑडिटोरियम में महिला स्वास्थ्य शिक्षा पुस्तक का विमोचन किया गया।

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दूरबीन सर्जरी बेहतर इलाज

ओडिसा स्टेट के पहले एंडोस्कोपी गायनिक सर्जन डॉ. बीजॉय नायक ने बताया कि एंडोस्कोपी में चीर-फाड़ की जरुरत नहीं होती। दूरबीन सर्जरी से बेहतर इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरी सलाह पर ही महिलाएं बच्चेदानी निकलवाएं। मामूली तकलीफ पर बच्चेदानी निकालना आम बात हो गई है। डॉक्टरों को भी मरीजों को समझाने की जरूरत है। मुख्य अतिथि डॉ. पीसी महापत्रा थे। इस दौरान डॉ. शैलेश पूंताम्बकर, मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. गिरीश वर्मा, डॉ. देश दीपक, डॉ. आरपी रावत, डॉ. प्रिया गुप्ता, डॉ. दीप्ति खंडेलवाल मौजूद रहीं।