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World Arthritis Day: तेजी से बदलते खानपान ने घटा दी रोगों के आमंत्रण की आयु

कोटा. तेजी से बदलते खानपान और भागमभाग भरी जीवनशैली ने रोगों के आमंत्रण की आयु घटा दी है।

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कोटा

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abhishek jain

Oct 12, 2017

World Arthritis Day 2017

कोटा . तेजी से बदलते खानपान और भागमभाग भरी जीवनशैली ने रोगों के आमंत्रण की आयु घटा दी है। ऑस्टिओ अर्थराइटिस जैसे 60 और इससे अधिक उम्र में आने वाले रोग भी अब 15 से 20 साल पहले ही रोगी तलाशने लगे हैं। खुद चिकत्सक मान रहे कि खानपान और जीवनशैली में बदलाव के चलते 40-45 साल की उम्र में ऑस्टिओ अर्थराइटिस ग्रस्त रोगी काफी आ रहे हैं। ऑस्टिओ अर्थराइटिस एक उम्र के साथ आने वाली जोड़ों की बीमारी है, जो मुख्यत: घुटनों को प्रभावित करती है और जोड़ों को दर्दभरा और सूजा हुआ बना देती है।

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व्यवस्थित जीएं वरना....
चिकित्सकों का कहना है कि इस रोग से ग्रस्त होने दवाइयां, फि जियोथेरेपी एवं कसरत बीमारी की शुरुआती दौर में काफी फायदेमंद हैं, परंतु ज्यादा घिसे जोड़ में इन उपायों से प्रत्यक्ष प्रभाव या आराम नहीं मिलता। इस अवस्था में जोड़ प्रत्यारोपण ही परिणामदायी इलाज है। हां, बेहतर जीवनशैली-खानपान तथा नियमित व्यायाम से इसे काफी अधिक उम्र तक इससे बचा जा सकता है। व्यवस्थित जीवन जीएं तो 70-75 की उम्र तक बचाव संभव है। कई संयमित जीवन वालों में 80-85 तक दिक्कत नहीं होती।

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कृत्रिम जोड़ों की उम्र
कृत्रिम जोड़ प्रत्यारोपण भी आजीवन साथ नहीं देते हैं। एक दशक पहले आने वाले कृत्रिम जोड़ की उम्र 10-12 साल आंकी जाती थी। अब तकनीकी सुधारों के चलते इनकी आयु 20-25 वर्ष आंकी जा रही है। यानी कम उम्र में शिकार हुए तो लाखों का इलाज भी 20 से 25 साल में साथ छोड़ सकता है। लेकिन, सभी मानते हैं कि ईश्वर प्रदत्त जोड़ों का कोई मुकाबला नहीं है।

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इनसे रहें दूर
जोड़ एवं प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद इकबाल ने बताया कि घुटनों में दर्द व्यक्ति में एक दम से नहीं होता। धीरे-धीरे इसकी शुरुआत होती है। मरीज को इसकी शुरुआत से ही संभल जाना चाहिए। इससे बचा जा सकता है। घुटनों में हल्का दर्द है तो हल्का व्यायाम करना चाहिए। साइकिलिंग व स्विमिंग सबसे बेस्ट है। वजन नहीं बढऩे दें। खान-पान में प्रोटीन चीजें लें। वसा व चिकनाई युक्त पदार्थों से दूर रहे। योग व ध्यान भी करें।


जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. विश्वास शर्मा का कहना है कि वर्तमान जीवनशैली में खानपान, बढ़ता वजन और कसरत की कमी से 45 से 50 आयु वर्ग में भी इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हंै। काफी केस आने लगे हैं।