
कोटा .
सड़क सुरक्षा नियमों का पालन कीजिए और विश्व हेड इंजरी अवेरनेस दिवस को विश्व हैप्पीनेस दिवस के रूप में मनाइए | हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने से सिर की चोट लगने की संभावना 70 से 75 प्रतिशत कम हो जाती है और दुर्घटना में संभावित मृत्यु दर लगभग 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है और ऑपरेशन की दर लगभग 10% तक रह जाती है हेलमेट लगाने से दुर्घटना में आपके सिर के साथ-साथ चेहरे का भी बचाव हो जाता है| यदि वाहन चलाते समय चलाने वाले की साथ ही पीछे बैठने वाला व्यक्ति बी हेलमेट लगाता है तो उसका भी दुर्घटना में बचाव् संभव हो सकता है।
हेलमेट से भ्रांतियां
हेलमेट लगाने से सर में कमर में और गर्दन में दर्द हो जाता है| हेलमेट लगाने से पीछे के वाहन की आवाज नहीं आती है| हेलमेट लगाने से सर के बाल उड़ जाते हैं| हेलमेट लगाने से देखने में दिक्कत होती है और हादसे होते हैं| अगर गाड़ी चलाने वाला कुशल है तो हेलमेट की आवश्यकता नहीं होती|
जबकि सच्चाई यह है
हेलमेट लगाने से सर में कमर में अथवा गर्दन में दर्द नहीं होता बल्कि दर्द लगातार अधिक समय तक वाहन चलाने से होता है| हेलमेट लगाने से सर के बाल नहीं उड़ते बल्कि यह त्वचा संबंधी बीमारी से अथवा आनुवंशिक रूप से उड़ते हैं| अगर उचित गुणवत्ता का आई एस आई मार्क का हेलमेट लगाया जाए तो देखने में दिक्कत बिल्कुल नहीं होती| चालक कुशल है अथवा अकुशल दुर्घटना किसी के भी साथ हो सकती है इसलिए हेलमेट लगाना आवश्यक है|
भारत में हेलमेट बनाने और बेचने के संबंध में कोई कानून शायद ऐसा नहीं है जो उचित गुणवत्ता के हेलमेट नहीं बनाने और बेचने पर पाबंदी लगाता हूं इसी का फायदा उठाकर हेलमेट बेचने वाले अपना फायदा देखते हुए उचित गुणवत्ता का हेलमेट नहीं भेजते और ज्यादातर मामलों में पब्लिक भी हेलमेट का उपयोग सिर की चोट से बचने के लिए नहीं बल्कि पुलिस के चालान से बचने के लिए करती है इसलिए वह गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखती और जब दुर्घटना होती है तब यह हेलमेट सिर की चोट से बचाने में मददगार नहीं होते|
20 मार्च को विश्व हेड इंजरी अवेरनेस डे हे। इसका उद्देश्य पब्लिक में हेड इंजरी के बारे में अवेरनेस लाना है।लगभग 5 प्रतिशत जनसँख्या हेड इंजरी से प्रभावित होती है ,जो की सिर में छोटी सी चोट से लेकर दिमाग में गंभीर तरह का हेमरेज हो सकता है।भारत में लगभग 10 लाख से ज्यादा व्यक्तियों की प्रतिवर्ष हेड इंजरी की वजह से मूर्त्यु हो जाती है जिसमे से अधिकांश की उम्र 15 वर्ष से 35 वर्ष के बीच की होती है ।इस दिन को मनाने के पीछे यही भावना हे की जनता इस से बचने के लिए जरुरी सावधानिया अपनाये और दूसरे लोगो को भी जागरूक करे।
सावधानिया
वाहन चलाते समय हेलमेट का उपयोग,सीट बेल्ट लगाना,वाहन चलाते समय शराब या किसी अन्य नशे का उपयोग नहीं करना,सीढियो पर रेलिंग का इस्तेमाल करना,बच्चो का छत या ऊंचाई पर खेलते समय ध्यान रखना,निर्माण कार्यो अथवा जोखिम भरे कार्यो में हेलमेट का उपयोग करना,ट्रैफिक नियमो का पालन करना,वाहन गति सीमा में ही चलाना,वाहन चलाते हुए मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना ,सीढियों पर उचित रौशनी का प्रबंध होना आदि|
सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशानुसार अब घायल व्यक्ति को चिकित्सालय पहुँचाने वाले से किसी प्रकार की पुलिस पूछताछ जरुरी नहीं है।
Published on:
20 Mar 2018 06:16 pm
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