
बाघों के डर से जंगल छोड़ भाग रहे तेंदुए
लखीमपुर-खीरी. leopards running away from forest due to fear of tigers जंगल में बाघों की संख्या बढ़ रही है। बाघों के डर से तेंदुए जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों में अपने को अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसका प्रमाण है धौरहरा और निघासन रेंज में तेंदुओं के हमले की घटनाओं का अचानक बढ़ जाना। तेंदुएं बस्तियों में और खेतों में दिखाई दे रहे हैं। बीते 24 घटें में तेंदुएं ने एक बच्चे और जंगल की रखवाली कर रहे वॉचर पर हमला किया था। 30 अगस्त को तेंदुए ने एक बच्चे को मार डाला। तेंदुओं की इस हरकत से इलाके में दहशत का माहौल है।
कहा जाता है कि तेंदुए जंगल के बाहरी इलाकों में पेड़ों पर बसेरा बनाते हैं। पर जब बाघ बढ़ जाते है तो तेंदुएं डर की वजह से उस इलाके को छोड़ देते है। धौरहरा और निघासन रेंज में यही हो रहा है। इन जंगलों में भी बाघों की संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। यही वजह है कि यहां तेंदुए जंगल छोड़कर भाग रहे हैं।
सक्रियता अचानक बढ़ी :- वन क्षेत्राधिकारी अनिल शाह का कहना है कि धौरहरा रेंज के पास ही कतर्निया घाट और बहराइच के जंगल हैं। आशंका है कि तेंदुए उधर से न आ रहे हैं। पर रेंज के जंगलों में भी तेंदुओं की सक्रियता अचानक बढ़ी है।
तेंदुएं भी गंवा रहे अपनी जान :- अपनी जान बचाने के लिए तेंदुओं को अब इंसानी बस्तियां अधिक रास आ रहीं हैं। जहां इलाके के ग्रामीणों को जान का खतरा है वहीं तेंदुओं की जान भी खतरे में रहती है। जुलाई में एक तेंदुए की लाश खेत में पाई गई थी। वन विभाग ने आशंका जताई थी कि यह तेंदुआ बाघ से संघर्ष में मारा गया।
तेंदुओं को लेकर वन विभाग बेबस - पर वन विभाग तेंदुओं को लेकर बेबस है। न कोई अभियान चला रहा है और न ही उसके पास तेंदुओं का सही सही आंकड़ा है। ऐसे में ग्रामीण आशंकित हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघों के मुकाबले तेंदुए संख्या में कम दिखते हैं। पर बीते दो साल में बफर जोन में उनकी चहलकदमी बढ़ी है।
Published on:
17 Sept 2021 06:45 pm
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