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इस गंभीर बीमारी के कारण 20 प्रतिशत नवजात की होती है मौत, हुआ खुलासा

बर्थ एसफिक्सिया या जन्म श्वासरोधक एक ऐसी दशा है, जिसमें नवजात पैदा होने के बाद न तो रोता है और न ही सांस लेता है

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इस गंभीर बीमारी के कारण 20 प्रतिशत नवजात की होती है मौत, हुआ खुलासा

ललितपुर. बर्थ एसफिक्सिया या जन्म श्वासरोधक एक ऐसी दशा है, जिसमें नवजात पैदा होने के बाद न तो रोता है और न ही सांस लेता है। यह बच्चे के मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी के कारण होता हैं। आक्सीजन की कमी होने के कई कारण होते हैं जैसे कि बच्चे के मुंह में गंदा पानी चले जाना, कम वजन का होने, समय से पूर्व पैदा होने या जन्मजात दोष होने की वजह से हो सकती है। इस दौरान अगर नवजात को तुरंत उचित देखभाल नहीं मिलती है, तो उसकी जान जाने का भी खतरा हो सकता है।

इन कारणों से होता है बर्थ एसफिक्सिया

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत शिशुओं की मौत दम घुटने की वजह से होती है। यह स्थिति ज़्यादातर जन्म के पहले एक घंटे के अंदर होती हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट, 2018 के अनुसार भारत में अधिकांश नवजात मृत्यु (75%) जीवन के पहले सप्ताह के दौरान होती है और पहले 24 घंटों के भीतर लगभग 10 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु हो जाती हैं। इनकी मृत्यु का प्रमुख कारण प्रसव पूर्व जन्म, अंतर्गर्भाशयी संबंधी जटिलताओं (जन्म के समय श्वासनली या जन्म के समय सांस लेने में कमी), संक्रमण और जन्म दोष आदि हैं। इसलिए पहले एक घंटे में नवजात शिशुओं की उचित देखभाल की सबसे अधिक जरूरत होती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह एक घंटा नवजात के लिए काफी मुश्किल भरा होता हैं, जरा सी भी चूक होने पर शिशु की मृत्यु हो सकती हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिले आंकड़ों के अनुसार जनपद में अप्रैल 2018 से लेकर दिसम्बर 2018 तक लगभग 227 नवजात शिशुओं को जन्म श्वासरोध की समस्या के तहत सिक न्यू बॉर्न केयर में भर्ती करके ठीक किया गया। इस स्थिति से शिशुओं को बचाने के लिए एक ओर सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट हैं। वही आशाओं को भी गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल माड्यूल प्रशिक्षण 6-7 के तहत प्रशिक्षित किया गया है। अगर किसी बच्चे के अंदर गंदा पानी चला गया है, तो आशाओं को प्रशिक्षित किया गया हैं कि वह म्यूकस एक्सट्रेक्टर के द्वारा गंदा पानी बाहर निकाल सकती हैं जिससे नवजात की जान बच सकें।

डॉक्टर ने दिए यह निर्देश

जिला महिला अस्पताल के सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट के नोडल आफिसर डॉ. राजनारायन ने बताया कि शिशु जब जन्म लेता है, तो उसके अंदर यह प्राकृतिक ताकत होती है कि वह खुद से सांस ले सके। वहीं वह बच्चे जिनके अंदर इतनी ताकत न हो कि वह खुद से सांस ले सके बर्थ एसफिक्सिया या जन्म श्वासरोधक का शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में या जिस गर्भवती को प्रसव के समय जटिलताओं का सामना करना पड़ता हैं उनमें होती हैं। इसके लिए जरूरी हैं कि माताएं गर्भ के समय सभी प्रसव पूर्ण जांचों को समय से कराएं। साथ ही संस्थागत प्रसव ही कराये जिससे कि प्रसव के समय किसी भी प्रकार की जटिलता न हो, और मां और बच्चे को किसी भी प्रकार की आकस्मिक घटना से बचाया जा सके।