
Adani Group bought 100 year old bungalow in Lutyens zone at Rs 400 cr
नई दिल्ली। एक आम आदमी का सबसे खास सपना होता है कि वो अपने और परिवार के लिए घर बनाए। इसके लिए वो लोन लेता है। उसके बाद खूब मेहनत करता लोन चुकाता है। वहीं जिस घर को खरीदने के लिए अदानी से लेकर नारायणमूर्ति, डालमिया और हैवल्स ग्रुप के मालिक होड़ में लगे हों, वो घर जरूर ही खास होगा।
जी हां, ऐसे ही एक घर की बोली लगी थी। जिसे अदानी ग्रुप ने अपने नाम किया। करीब 100 साल पुराने इस घर को अदानी ग्रुप ने 400 करोड़ रुपए में खरीदा। यह घर और कहीं नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली के अल्ट्रा पॉश इलाके में है। आइए आपको भी बताते हैं कि इस घर की खासियत के बारे में। साथ यह भी बताते हैं कि इस घर के इतिहास के बारे में...
ऐसे मिला अदानी को बंगला
एक अंग्रेजी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह बंगला दिल्ली के लुटियंस जोन इलाके के भगवान दास रोड पर स्थित है। वास्तव में यह बंगला पहले आदित्य एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड के पास था। आदित्य एस्टेट्स पर दिवालिया प्रकिया शुरू हुई और इसके तहत देश के कुछ नामी ग्रुप और उद्योगपति बोली लगाने के लिए कतार में आ गए। आते भी क्यों जगह और बंगले की खासियत ने सभी को मोह जो लिया था। लेकिन बाजी मारी अदानी ग्रुप ने।
400 करोड़ रुपए की बोली लगाकर ग्रुप ने इस बंगले को अपने नाम कर लिया। आदित्य एस्टेट्स ने कुछ वर्षों पहले इस बंगले की कीमत 1,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी थी। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल एनसीएलटी ने 14 फरवरी को अदाणी ग्रुप की कंपनी अदानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
आदित्य एस्टेट्स के 93 फीसदी कर्जदाता भी अदानी की बोली के पक्ष में थे। एनसीएलटी के डॉक्युमेंट्स के अनुसार दिवालिया प्रोसेस में बंगले की कीमत सिर्फ 265 करोड़ रुपए लगाई गई थी। अदानी प्रॉपर्टीज को 5 करोड़ रुपए की गारंटी और 135 करोड़ रुपए कंवर्जन चार्ज चुकाने होंगे।
बंगले की खासियत
- करीब 3.4 एकड़ में फैला हुआ है यह दो मंजिला बंगला।
- बंगले का बिल्ट-अप एरिया 25,000 स्क्वायर फीट है।
- इस बंगले में 7 बेडरूम, 6 डाइनिंग रूम, एक स्टडी रूम बने हुए हैं।
- 7,000 स्क्वायर फीट एरिया में स्टाफ क्वार्टर बने हुए हैं।
- बंगले के चारों तरफ घनी हरियाली है।
कुछ ऐसा है बंगले का इतिहास
जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि इस बंगले का इतिहास 100 साल पुराना है। ऐसे में यह बात समझने में देरी नहीं होनी चाहिए कि इस बंगले पर पहले ब्रिटिशर्स का मालिकाना हक था। सबसे पहले इस बंंगले में विदेश विभाग का ऑफिस था। बंगले के एरिया में स्टाफ क्वार्टर इसलिए ही बनाए गए थे। काम के बाद वो वहीं रह सकें।
1921 में इस बंगले को यूनाइडेट प्रोविंस लेजिस्टलेटिव काउंसिल के सदस्य लाला सुखबीर सिन्हा ने खरीद लिया था। 1985 में इस बंगले को आदित्य एस्टेट्स ने खरीदा। कर्ज का रुपया ना देने की वजह से आईसीआईसीआई बैंक यूके ने रिकवरी के लिए गत वर्ष 26 फरवरी को आदित्य एस्टेट्स के खिलाफ दिवालिया की अर्जी लगाई थी।
Updated on:
22 Feb 2020 05:36 pm
Published on:
22 Feb 2020 05:25 pm
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