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बढ़ती प्रतिस्पर्धा में युवाओं को कमान सौंप रही है बड़ी कंपनिया, इंदिरा नूर्इ को भी इसलिए छोड़ना पड़ा था पद

Published: Aug 09, 2018 07:07:55 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

फार्च्यून 500 की कंपनियों में शामिल 39 कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स बनाने वाली कंपनियों में आधे से अधिक कंपनियों ने पिछले ढाई वर्ष में सीइओ में बदलाव किया है।

Indira nooyi

बढ़ती प्रतिस्पर्धा में युवाओं को कमान सौंप रही है बड़ी कंपनिया, इंदिरा नूर्इ को भी इसलिए छोड़ना पड़ा था पद

नई दिल्ली। दुनिया की दस सबसे बड़ी खाद्य कंपनियों में छह कंपनियों ने पिछले तीन साल में अपने सीइओ में बदलाव किया है। हाल ही में शीतल पेय और खाद्य उत्पाद बनाने वाली पेप्सिको ने 12 साल से सीइओ रही भारतवंशी इंदिरा नूई को हटाकर रेमन लगुआर्ता को सीइओ नियुक्त किया है। कुछ और बड़ी कंपनियां भी सीइओ की तलाश कर रही हैं। फार्च्यून 500 की कंपनियों में शामिल 39 कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स बनाने वाली कंपनियों में आधे से अधिक कंपनियों ने पिछले ढाई वर्ष में सीइओ में बदलाव किया है। बाजार विशेषज्ञों की निगाह पेप्सिको के नवनियुक्त सीइओ 54 वर्षीय लगुआर्ता की रणनीतियों पर संभावना जता रहे हैं कि पेप्सिको के व्यापार को हिस्सों में करने की रणनीति अपना सकते हैं। हालांकि लगुआर्ता कंपनी के साथ 22 वर्षों तक काम कर चुके हैं लेकिन अन्य कंपनियों ने नई सोच के लिए कंपनी से बाहर के विकल्पों पर गौर किया है।

प्रबंधन में 55 की उम्र तक होते हैं युवा
इस बदलाव की मुख्य वजह पारंपरिक तौर पर किसी क्षेत्र में दबदबा बनाए हुए लोगों को छोटे ब्रांडों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलना है। छोटे ब्रांड की कंपनियों ने ऑनलाइन उत्पादों की बिक्री और लोगों से जुडऩे में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। इसकी वजह से बड़ी कंपनियों पर शेयरधारकों की तरफ से दबाव बढ़ रहा था। शेयरधारकों के दबाव के कारण बोर्ड ने नई सोच के युवाओं को सीइओ को आजमाने का फैसला किया जो तकनीकी रूप से दक्ष हों और लागत में कटौती कर सकें। अब बड़े ब्रांड की कंपनियां ऐसे शख्स को कमान देना चाहती हैं जो नई सोच और रणनीति के साथ बाजार में उत्पादों को पेश कर सके। बता दें कि शीर्ष प्रबंधन मानकों के मुताबिक उम्र के पांचवे दशक के पूर्वार्ध को युवा समझा जाता है।

बाहरी प्रतिभा को भी मिल रहा मौका
पिछले वर्ष मार्क श्नेडर को जब दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य कंपनी नेस्ले की कमान सौंपी गई थी तो यह उसके सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार था जब किसी बाहरी शख्स को यह जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा वह कंपनी के पूर्व सीइओ से लगभग दस साल उम्र में छोटे भी थे। उन्होंने कमान संभालते ही उन्होंने कंपनी के व्यापार में अपनी आक्रामक रणनीतियों के मुताबिक बदलाव किया। श्नेडर ने अधिग्रहण की रफ्तार भी तेज कर बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई। पिछले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में नवनियुक्त सीइओ में लगभग 50 फीसदी कंपनी के ही कर्मचारी थे जबकि पिछले 20 साल में यह आंकड़ा तीन चौथाई का है।
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