
अगर चीन ना करता मदद तो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति अपने पैरों पर ना खड़ी होती
नर्इ दिल्ली। देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भार्इ पटेल की मूर्ति स्टेचू आॅफ यूनिटी का आज उद्घाटन हो गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर मौजूद रहे। वैसे तो इस मूर्ति के बारे में आप काफी पढ़ चुके हैं। खबर यह भी गर्म है कि इस मूर्ति को बनाने के लिए चीन से मदद ली गर्इ। खबर गर्म के साथ सही भी है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर इस मूर्ति को बनाने में चीन की मदद नहीं ली जाती तो काफी समस्याआें का सामना करना पड़ता है। वास्तव में दुनिया की सबसे लंबी मूर्ति जो आज खड़ी है उसमें चीन का बड़ा हाथ है। आइए आपको भी बताते हैं कैसे?
पहले यह जान लीजिये
इस पूरी मूर्ति को बनाने के लिए 70 हज़ार मीट्रिक टन सीमेंट लगा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इतना सीमेंट 2 बीएचके करीब 3500 फ्लैट बनाए जा सकते हैं। वहीं इस मूर्ति को बनाने में 2 लाख 12 हज़ार क्यूबिक मीटर कंक्रीट लगा हुआ है। वहीं 18 हज़ार मीट्रिक टन रीइंफ़ोर्समेंट स्टील लगाया गया है। जो काफी ज्यादा है। वहीं 6 हज़ार 500 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील लगी हुर्इ हैं। इन सब के बाद इस मूर्ति में 22 हज़ार स्क्वायर मीटर कांसे की प्लेटें लगी हैं। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 182 मीटर ऊंची इस मूर्ति का वजन कितना होगा।
इसलिए पड़ी चीनी कंपनी की जरुरत
अब जब आपको यह पता लग गया है कि इस मूर्ति को बनाने में कितना स्टील, सीमेंट लगा है। साथ ही आपने यह भी अंदाजा लगा लिया है कि इस मूर्ति का वजन क्या हो सकता है तो अापको यह भी पता होगा कि यह सारा वजन पैरों पर ही आएगा। जी हां, इन सब का वज़न सरदार पटेल की मूर्ति के पैरों में आ रहा था। देश भर के हर बड़े ढलाईघरों ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए थे। तब जाकर इस मामले में चीन से मदद लेनी पड़ी। जियांग्जी टोकिन कंपनी को ये काम सौंपा गया। ढलाई का काम शुरू हुआ और एक-एक कर के चीन से कांसे की प्लेटें आने शुरू हुर्इ। स्टैचू ऑफ़ यूनिटी में चीन आने वाली 7 हज़ार प्लेटों से बनी है। जिन्हें आपस में वेल्डिंग कर के जोड़ा गया है। आप समझ गए होंगे कि अगर चीन मदद ना करता तो तो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति आज विश्व के सामने खड़ी ना हो पाती।
Published on:
31 Oct 2018 11:00 am
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