
नई दिल्ली। आर्थिक मंदी और उसमें ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा मंदी देश का सबसे बड़ा चर्चा का विषय बन गई है। कई प्लांट बंद हो गए हैं। साथ ही कई कंपनियों ने महीने में अवकाश के दिन बढ़ा दिए हैं। इसके अलावा लाखों नौकरियां जा चुकी हैं और लाखों लोगों की नौकरियां जाने का खतरा बढ़ा हुआ है।
अब इस मामले में देश की वित्त मंत्री बाकी कारणों के साथ ओला-ऊबर के बढ़ते चलन को भी जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा है कि अब देश के लोग गाड़ी की ईएमआई देने से बेहतर ओला-ऊबर से सफर करना ज्यादा पंसद करते हैं। उन्होंने और फैक्टर्स को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया है।
वित्त मंत्री ने ऑटो सेक्टर के लिए इन्हें बताया जिम्मेदार
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर पर पत्रकारों से बात करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑटो सेक्टर गंभीर समस्या से गुजर रहा है। इसका हल निकालना बेहद जरूरी हो गया है।
उन्होंने ऑटो सेक्टर में गिरावट के लिए लोगों के माइंडसेट में बदलाव, बीएस-6 मॉडल, रजिस्ट्रेशन फी से संबंधित मामलों को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने सिर्फ ऑटो सेक्टर नहीं है। हम सभी सेक्टर्स की परेशानियों को लेकर गंभीर हैं। अगस्त और सितंबर में बड़े ऐलान किए गए हैं। जरुरत पडऩे पर और भी राहत भरे ऐलान किए जाएंगे।
मारुति चेयरमैन ने कहा कि
वहीं दूसरी ओर मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि ऑटो सेक्टर में डिमांड और स्लोडाउन ओला-ऊबर की वजह से आया है। उन्होंने इसके लिए सरकार की पॉलिसी को जिम्मेदार बताया है।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम और उन पर लगने वाला टैक्स, रोड टैक्स, पेट्रोल-डीजल सेेस की वतह से भी लोग गाडिय़ों से भागने लगे हैं। वहीं उन्होने इस बात को भी कहा कि जीएसटी दरों में कमी करने से कोई नहीं पडऩे वाला है।
उन्होंने कहा कि गाडिय़ों में सेफ्टी फीचर्स एड करने से उनकी लागत बढ़ गई है। जिसकी वजह से दोपहिया वाहन चलाने वाले लोग गाडिय़ों की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं। आपको बता दें कि लगातार 10वें महीने अगस्त में भी कारों की बिक्री में कमी आई है।
Published on:
11 Sept 2019 08:56 am
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