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गोरेपन की लड़ाई में भिड़ी दो दिग्गज कंपनियां, अब कोर्ट में हो सकता है फैसला

देश की दो दिग्गज एफएमसीजी कंपनी हिन्‍दुस्‍तान यूनीलि‍वर और इमामी आपस में भिड़ गई है।

Jun 19, 2018 / 01:22 pm

manish ranjan

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गोरेपन की लड़ाई में भिड़ी दो दिग्गज कंपनियां, अब कोर्ट में हो सकता है फैसला

नई दिल्ली। देश की दो दिग्गज एफएमसीजी कंपनी हिन्‍दुस्‍तान यूनीलि‍वर और इमामी आपस में भिड़ गई है। दरअसल मामला मर्दों के गोरेपन वाली क्रीम का है। हिन्‍दुस्‍तान यूनीलि‍वर ने मुंबई हाईकोर्ट में इमामी कंपनी के खि‍लाफ कैवि‍एट याचि‍का दाखि‍ल की है। क्‍योंकि‍ कंपनी को लग रहा है कि इमामी उसके नए वि‍ज्ञापन के खि‍लाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। कैवि‍एट पि‍टीशन उस कंडीशन में दाखि‍ल की जाती है जब कि‍सी को लगता है उनके खि‍लाफ कोई मुकदमा दायर कि‍या जा सकता है। एचयूएल ने फेयरनैस क्रीम के अपने नए वि‍ज्ञापन में इमामी फेयर एंड हैंडसम क्रीम को नि‍शाने पर लि‍या है।
ये है पूरा मामला

आपको बता दें कि इन दोनों कंपनियों नें मर्दों की गोरेपन से जुड़े नए प्रोडक्ट लांच किए हैं। हिन्दुस्तान यूनिलिवर की मर्दों की फेयर एंड लवली क्रीम मार्केट में है, जि‍सकी 50 ग्राम की ट्यूब की एमआरपी 128 रुपए है। जबिक इमामी फेयर एंड हैंडसम के नाम से मर्दों की फेयरनैस क्रीम बेचती है, जि‍सकी 60 ग्राम की कीमत 130 रुपए है। दोनों क्रीमों में क्‍वालि‍टी, दावों के अलावा 10 ग्राम और 2 रुपए का फर्क है। अब अपने नए विज्ञापन में फेयर एंड लवली ने फेयर एंड हैंडसम से मिलती जुलती क्रीम को नीचा दिखाया है और अपने प्रोडक्ट को बेहतर बताया है। जिसके चलते कंपनी को लग रहा है कि इमामी जल्‍द ही कोर्ट जाएगी इसलिए एचयूएल ने कोर्ट में पहले ही पेटीशन दाखिल कर दिया है।
विज्ञापन को लेकर पहले भी हुई है भिडंत

ऐसा नहीं है कि ऐसा मामला पहली बार सामने आया है। इससे पहले भी साल 2010 में कंपनी ने अपने वाशिंग पाउडर रि‍न के एक वि‍ज्ञापन में सीधे सीधे प्रोक्‍टर एंड गैंबल के टाइड नेचुरल को नि‍शाना बनाया था। प्रोक्‍टर एंड गैंबल की याचि‍का पर सुनवाई करते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने इस वि‍ज्ञापन पर रोक लगा दी थी।
एचयूएल पहले ही क्यों सतर्क

दरअसल हिन्दुस्तान यूनिलिवर की तरफ से पहले ही पिटीशन दाखिल करने का मकसद यह है कि अगर कंपनी के खिलाफकोई मुकदमा दायर होता है तो कंपनी को अपना पक्ष रखने के लि‍ए बुलाया जाए और मामले की सुनवाई एकतरफा ना हो। ऐसे में इस बात के चांस बढ़ जाते हैं कि कोर्ट तुरंत वि‍ज्ञापन पर रोक नहीं लगाएगी और फैसला आने तक एचयूएल इसे दि‍खाता रहेगा।

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