scriptBirthday Special: युवा पीढ़ी के लिए मेहनत, लगन और कामयाबी की मिसाल हैं ये दो शख्स | Know About Dhirubhai Ambani And Ratan Tata on their birthday | Patrika News
कॉर्पोरेट वर्ल्ड

Birthday Special: युवा पीढ़ी के लिए मेहनत, लगन और कामयाबी की मिसाल हैं ये दो शख्स

1991 में रतन टाटा बने थे टाटा ग्रुप के चेयरमैन, ग्रुप के प्रोफिट को बढ़ाया
रिटायरमेंट के बाद ही कारोबारी समझ से कई कंपनियों में किया हुआ निवेश
अदन में एक कंपनी में क्लर्क से की थी धीरूभाई ने करियर की शुरुआत
1950 में मसालों के कारोबार रखा था बिजनेस में कदम, बनाया रिलायंस समूह

Dec 28, 2020 / 11:26 am

Saurabh Sharma

Know About Dhirubhai Ambani And Ratan Tata on their birthday

Know About Dhirubhai Ambani And Ratan Tata on their birthday

नई दिल्ली। देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों टाटा ग्रुप और रिलायंस ग्रुप को किसी पहचान की जरुरत नहीं है। दोनों ग्रुपों का देश को आगे ले जाने में काफी बड़ा योगदान रहा है। दोनों अपना अलग-अलग इतिहास है। आज जिन दो लोगों की बात हम कर रहे हैं, ये वो लोग हैं, जिन्होंने इन दोनों कंपनियों को अपने समय में नई बुलंदियों पर पहुंचाया। एक ऐसी नींव रखी, जिसे हिला पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं। एक नाम है रतन टाटा, वहीं दूसरी शख्सियत हैं मुकेश और अनिल अंबानी के पिता धीरूभाई अंबानी। ये दोनों ही शख्स आज भी युवाओं के लिए कामयाबी के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। खास बात तो ये है कि इन दोनों का जन्मदिन भी एक ही दिन आता है। धीरूभाई अंबानी आज हमारे बीच होते होते तो 88वां जन्मदिवस सेलीब्रेट कर रहे होते। वहीं रतन टाटा 83वां जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे हैं। आइए आपको भी बताते हैं इन दोनों के बारे में…शुरूआत करते हैं रतन टाटा से…

यह भी पढ़ेंः- यूके-ईयू के बीच ऐतिहासिक ब्रेक्सिट डील से रतन टाटा को बड़ा फायदा

रतन टाटा, नई पीढ़ी के बने प्रेरणास्रोत
टाटा ग्रुप सालों से देश और आम लोगों की सेवा कर रहा है। देश के सबसे पुराने ग्रुप होने के कुछ फायदे हैं तो कुछ चुनौतियां भी। वो भी तब जब टेक्नोलॉजी के जमाने में नई और विदेशी कंपनियों का सामना करना हो। यहीं से शुरू होती है रतन टाटा की कहानी। 1991 में रतन टाटा के हाथों में ग्रुप की बागडोर हाथों में आई।

दौर था मनमोहन सिंह के उदारीकरण था। जिसमें बाहरी कंपनियों का आना शुरू हो गया था। नई टेक्नोलॉजी और विदेशी कंपनियां भारतीय बाजारों को अपने कब्जे में करना चाहती थी। उस दौर में कंपनी को नए मुकाम और कामयाबी के नए आयाम देने का श्रेय रतन टाटा को ही जाता है। उन्होंने उस कठिन दौर की तमाम चुनौतियों का सामना किया और सफलता पूर्वक ग्रुप को आगे बढ़ाया।

वहीं ग्रुप की विरासत और स्वर्णिम इतिहास पर कोई दाग भी नहीं लगने दिया। जब तक वो टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे कंपनी का प्रोफिट लगातार बढ़ता रहा। आज भी वो जब रिटायर हो गए हैं, छोटे-छोटे स्टार्टअप के जरिए नौजवानों को सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कैब प्रोवाइडर कंपनी ओला, पेटीएम, अर्बन क्लैप, फस्र्ट क्राई और कारदेखो जैसी कंपनियों में निवेश किया हुआ है।

यह भी पढ़ेंः- 2020 खत्म होने से पहले सोने की कीमत में जबरदस्त तेजी, चांदी फिर 70 हजार के करीब

साधारण परिवार, उंचे विचार
कौन कहता है कि साधारण परिवार में जन्म लेने वाला हमेशा साधारण ही रहता है। इस परिभाषा को बदला देश की सबसे बड़ी कंपनी की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी ने। अंबानी का जन्म गांव में स्कूल मास्टर के परिवार में हुआ। अपने माता पिता के तीसरे बच्चे धीरूभाई मात्र 17 साल की उम्र में अदन गए और एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी से शुरुआत की।

वहीं रहकर उन्होंने बिजनेस की बारीकियों को पकड़ा और अपने जहन में उतार लिया। जब वापस लौटे तो 1950 में मसालों के कारोबार की शुरूआत की। उसके बाद तो पूरा देश की उनकी कारोबारी नीतियों कायल हो गया। उसके बाद पेट्रोकेमिकल, कम्युनिकेशन, पॉवर और टेक्सटाइल समेत कई सेक्टर्स में कारोबार करने वाली रिलायंस समूह की नींव डाली। आज इस समूह की बागडोर दो हिस्सों में बड़े बेटे मुकेश अंबानी और छोटे बेटे अनिल अंबानी के हाथों में है। मुकेश अंबानी तो एशिया के सबसे अमीर शख्स हैं।

Home / Business / Corporate / Birthday Special: युवा पीढ़ी के लिए मेहनत, लगन और कामयाबी की मिसाल हैं ये दो शख्स

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो