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रिलायंस इंफ्रा को AT से बड़ी राहत, कंपनी को मिलेंगे 1250 करोड़ रुपए

आरइंफ्रा ने दामोदर वैली कॉरपोरेशन से आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल से जीता केस
ट्रिब्यूनल ने डीवीसी को दिया आदेश, क्लेम के 898 करोड़ रुपए चुकाने होंगे
डीवीसी को 4 सप्ताह में 356 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी देनी होंगी

नई दिल्लीDec 23, 2019 / 12:52 pm

Saurabh Sharma

Anil Ambani

Reliance Infra’s big relief from AT, company will get Rs 1250 crore

नई दिल्ली। अनिल अंबानी ( Anil Ambani ) के अधीन वाली कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ( reliance infrastructure ) को आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ( Arbitration Tribunal ) से बड़ी राहत मिली है। उन्होंने दामोदर वैली कॉरपोरेशल ( DVC ) के खिलाफ 1250 करोड़ रुपए से ज्यादा का केस जीता है। अब कंपनी का कहना है कि डीवीसी से मिलने वाली इस रकम का इस्तेमाल कर्ज करने के लिए किया जाएगा। आपको बता दें कि मामला पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में डीवीसी के 1,200 मेगावॉट के रघुनाथपुर थर्मल पावर प्रॉजेक्ट ( Raghunathpur Thermal Power Project ) से जुड़ा है, जिसे आरइंफ्रा ( Rinfra ) ने पूरा किया था। लेकिन प्रोजेक्ट समय पर पूरा ना होने की वजह से डीवीसी ने रिलायंस से आर्बिटेशन की डिमांड की थी। जबकि आरइंफ्रा ने प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन होने के कारण देरी की वजह से मुआवजे की डिमांड की थी।

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क्लेम के साथ देनी होगी बैंक गारंटी
रघुनाथपुर थर्मल पावर प्रॉजेक्ट की कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू 3,750 करोड़ रुपए थी। रिलायंस इंफ्रा को इस प्रोजेक्ट में इंजिनियरिंग और कंस्ट्रक्शन के काम का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। तीन सदस्यीय आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल के आदेश के अनुसार डीवीसी को क्लेम के रूप में आरइंफ्रा को 898 करोड़ रुपए चुकाने के साथ चार सप्ताह के अंदर 356 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी देने का निर्देश जारी किया है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने कहा बैंक गारंटी के बदले आर्बिट्रेशन के फैसले का 75 फीसदी भुगतान डीवीसी तत्काल करने का निवेदन करेगी। दोनों कंपनियों के बीच यह विवाद दो सालों से चल रहा था।

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क्या था मामला
आरइंफ्रा को 2007 में 600 मेगावॉट प्रत्येक की दो यूनिट क्रमश: 35 और 38 महीनों में तैयार करने का ऑर्डर मिला था। लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से प्रोजेक्ट के लिए लैंड उपलब्ध नहीं हो सकी। जिसकी वजह से प्रोजेक्ट को 2016 में पूरा किया जा सका। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने प्रोजेक्ट को पूरा करने में मुश्किलों के कारण डीवीसी से मांग की थी। वहीं डीवीसी ने प्रोजेक्ट के समय पर पूरा ना होने के कारण आरइंफ्रा से हर्जाना देने को कहा था।

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