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Bharat Taxi vs Ola-Uber: सरकारी ऐप में क्या अलग होगा? इन 5 पॉइंट्स में समझें नया सिस्टम

Bharat Taxi vs Ola-Uber: क्या सरकारी ऐप ओला-उबर से सस्ता होगा? 1 जनवरी को लॉन्चिंग से पहले जानें इसके 5 बड़े फीचर्स जो आपकी जेब बचाएंगे।

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भारत

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Rahul Yadav

Dec 17, 2025

Bharat Taxi vs Ola-Uber

Bharat Taxi vs Ola-Uber (Image: Gemini)

Bharat Taxi vs Ola-Uber: अगर आप भी दिल्ली से हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। हालांकि, कोई भी शहर हो कैब वालों की मनमानी एक ही तरह है। हर ड्राइवर का एक ही सवाल, कहां जाना है और फिर राइड कैंसिल… इस समस्या से हर वो इंसान वाकिफ है जो ओला-ऊबर से सफर करता है। और अगर ऑफिस का टाइम हो, तो किराया देखकर बीपी अलग से बढ़ जाता है।

लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि इस समस्या का इलाज करने के लिए अब दिल्ली में बकायदे व्यवस्था कर दी गई है। 1 जनवरी 2026 से देश की राजधानी में भारत टैक्सी (Bharat Taxi) की एंट्री हो रही है। यह सिर्फ एक नया ऐप नहीं है, बल्कि ओला-उबर की उस मनमानी का जवाब है जिससे हम और आप रोज जूझते हैं।

ऐसे में आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि हमारे फोन में पड़े पुराने ऐप्स से यह सरकारी ऐप अलग कैसे होगा? चलिए इन 5 पॉइंट्स में समझते हैं दोनों के बीच फर्क क्या है?

1. Bharat Taxi Surge Pricing: किराए में कोई झोल नहीं

    ओला-उबर का हिसाब-किताब हम सब जानते हैं। जैसे ही डिमांड बढ़ी, किराया डबल हो जाता है। बारिश की एक बूंद गिरते ही 100 रुपये का सफर 300 का हो जाता है। इसे ये कंपनियां डायनामिक प्राइसिंग कहती हैं, लेकिन आम आदमी इसे मजबूरी का फायदा उठाना ही कहता है।

    भारत टैक्सी में क्या अलग: यहीं पर सरकारी ऐप बाजी मार ले जाता है। इसमें किराये को लेकर कोई सस्पेंस नहीं है। रेट एकदम फिक्स रहेगा। चाहे आप पीक आवर्स में बुक करें या आधी रात को, किराया वही लगेगा जो तय है। यानी सफर खत्म होने पर बिल देखकर आपको झटका नहीं लगेगा।

    ओला-उबर में डायनामिक प्राइसिंग का फंडा चलता है। यानी अगर बारिश हो रही है या ऑफिस का समय है तो 100 रुपये का किराया 300 रुपये तक पहुंच जाता है।

    भारत टैक्सी में क्या अलग: रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह ऐप स्थिर किराए (Fixed Fare) पर काम करेगा। चाहे बारिश हो, ट्रैफिक हो या रात का समय, आपको वही वाजिब किराया देना होगा जो तय है। यानी आपकी जेब पर अचानक बोझ नहीं बढ़ेगा।

    2. कमाई का गणित: ड्राइवर खुश, तो राइड कैंसिल नहीं

      अक्सर ड्राइवर राइड इसलिए कैंसिल करते हैं क्योंकि उन्हें मिलने वाला पैसा कम लगता है। प्राइवेट ऐप्स में कंपनी 20 से 25% (कभी-कभी 30% तक) कमीशन काट लेती है।

      भारत टैक्सी में क्या अलग: यहां गेम पलट दिया गया है। भारत टैक्सी मॉडल में किराए का 80% से ज्यादा हिस्सा सीधा ड्राइवर की जेब में जाएगा। जब ड्राइवर को पूरा पैसा मिलेगा, तो वह राइड कैंसिल करने के बजाय उसे पूरा करने में दिलचस्पी दिखाएगा।

      3. एक ऐप, सारी सवारी

        कई बार हमें ऑटो चाहिए होता है लेकिन ऐप में सिर्फ महंगी कारें दिखती हैं। या फिर हमें बाइक टैक्सी चाहिए होती है।

        भारत टैक्सी में क्या अलग: यह एक सुपर एग्रीगेटर की तरह काम करेगा। 1 जनवरी से लॉन्चिंग के साथ ही इसमें आपको ऑटो, बाइक और कार तीनों के विकल्प एक ही स्क्रीन पर मिलेंगे। दिल्ली के करीब 56,000 ड्राइवर पहले ही इससे जुड़ चुके हैं, यानी गाड़ी मिलने में वेटिंग टाइम कम होगा।

        4. कोई हिडन चार्ज नहीं

          प्राइवेट ऐप्स में अक्सर बुकिंग फीस, टेक्नोलॉजी फीस या वेटिंग चार्ज के नाम पर बिल बढ़ा दिया जाता है।

          भारत टैक्सी में क्या अलग: चूंकि यह सरकारी पहल है, इसका मकसद मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि सुविधा देना है। इसमें किराए का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी होगा। आपको पता होगा कि आप किस चीज के पैसे दे रहे हैं।

          5. भरोसे का साथी

            प्राइवेट कंपनियों के कस्टमर केयर से बात करना अक्सर एक टेढ़ी खीर होता है। रिफंड या शिकायत के लिए कई मेल करने पड़ते हैं।

            भारत टैक्सी में क्या अलग: उम्मीद की जा रही है कि सरकारी निगरानी में होने के कारण इसमें शिकायतों का निपटारा ज्यादा जिम्मेदारी से होगा। यह प्लेटफॉर्म ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के हितों की रक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।

            क्या आपको स्विच करना चाहिए?

            1 जनवरी को जब आप ऑफिस के लिए निकलें, तो एक बार दोनों ऐप्स पर किराया चेक जरूर करें। अगर आपको कम दाम में, बिना नखरे के गाड़ी मिल रही है तो भारत टैक्सी निश्चित रूप से आपके मोबाइल का परमानेंट मेंबर बन जाएगा।


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