Financial Fraud Risk Indicator (FRI): अब हर ट्रांजैक्शन से पहले मोबाइल नंबर की होगी जांच, DoT का नया टूल रोकेगा साइबर फ्रॉड
डिजिटल पेमेंट को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए DoT ने Financial Fraud Risk Indicator (FRI) टूल लॉन्च किया है। यह टूल मोबाइल नंबरों की जांच कर बैंकों, UPI ऐप्स और NBFCs को जोखिम वाले नंबरों की पहचान करने में मदद करता है। जानिए कैसे काम करता है यह नया सिस्टम।
DoT Launches FRI Tool to Flag Risky Phone Numbers Before Digital Transactions (Image Source: Patrika.com)
Financial Fraud Risk Indicator (FRI):साइबर ठगी की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक खास टूल लॉन्च किया है, जिसका नाम Financial Fraud Risk Indicator (FRI) है। यह नया सिस्टम डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) का हिस्सा है और इसे खासतौर पर बैंकों, NBFCs और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को मोबाइल नंबर के जरिए होने वाली धोखाधड़ी पहचानने और रोकने में मदद करने के लिए तैयार किया गया है।
FRI मोबाइल नंबरों को उनके जोखिम स्तर के आधार पर तीन कैटेगरी मध्यम (Medium), उच्च (High) और बहुत उच्च (Very High) में बांटता है। यह क्लासिफिकेशन तीन प्रमुख स्रोतों से मिले डेटा पर आधारित होता है जिसमें नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), DoT का चक्षु प्लेटफॉर्म और वित्तीय संस्थानों से दी गई जानकारी शामिल है।
इस तरह की कैटेगेरी के आधार पर बैंक और UPI सर्विस प्रोवाइडर्स उन मोबाइल नंबरों पर सतर्कता बरत सकते हैं जिनसे धोखाधड़ी की संभावना अधिक होती है। इससे वे ट्रांजैक्शन को ब्लॉक कर सकते हैं, अलर्ट भेज सकते हैं या प्रक्रिया को धीमा कर यूजर की पहचान की दोबारा चेक कर सकते हैं।
मंत्रालय का क्या कहना है?
20 मई को संचार मंत्रालय ने बताया कि यह टूल डिजिटल पेमेंट से जुड़ी संस्थाओं को उच्च जोखिम वाले नंबरों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेने में सक्षम बनाएगा। मंत्रालय ने यह भी बताया कि आजकल धोखेबाज बहुत तेजी से मोबाइल नंबर बदलते हैं जिससे उनका पता लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में शुरू से ही अलर्ट सिस्टम होना बेहद जरूरी है।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) मोबाइल नंबर रिवोकेशन लिस्ट (MNRL) भी शेयर करता है जिसमें ऐसे नंबर शामिल होते हैं जो वेरिफिकेशन फेल होने, साइबर क्राइम में उपयोग होने या लिमिट से ज्यादा एक्टिविटी के चलते बंद किए गए हैं। कई बार ये नंबर ही फ्रॉड का हिस्सा होते हैं।
UPI ऐप PhonePe ने इस सिस्टम को सबसे पहले अपनाया है। इसके PhonePe Protect फीचर के तहत अब जो मोबाइल नंबर ‘Very High’ रिस्क कैटेगरी में आते हैं उनसे जुड़े लेन-देन को यह ऐप सीधे ब्लॉक कर देता है और स्क्रीन पर अलर्ट दिखाता है।
‘Medium’ कैटेगरी के लिए भी PhonePe जल्द ही ट्रांजैक्शन से पहले यूजर को चेतावनी देने की सुविधा शुरू करेगा। मंत्रालय ने बताया कि PhonePe के दिए गए डेटा से साफ है कि जिन नंबरों को FRI मॉडल ने रिस्क वाला बताया था वे सच में साइबर धोखाधड़ी से जुड़े पाए गए।
यह भी पढ़ें: अब ट्रेन टिकट बुक करना हुआ और भी आसान: SwaRail App से मिनटों में हो जाएगी सारी प्रक्रिया अब Paytm और Google Pay जैसे बड़े UPI प्लेटफॉर्म्स भी DIP अलर्ट्स को अपनाने की प्रक्रिया में हैं। ये कंपनियां अपने सिस्टम में ट्रांजैक्शन में देरी, यूजर कन्फर्मेशन या चेतावनी जैसे सुरक्षा उपाय जोड़ रही हैं। इसके अलावा कई बैंक भी FRI डेटा का उपयोग अपने फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम को और मजबूत करने के लिए कर रहे हैं।
यह नया टूल डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ एक बड़ा कदम है। अब हर डिजिटल ट्रांजैक्शन से पहले मोबाइल नंबर की जांच होगी और जोखिम वाले नंबरों से लोगों को सतर्क किया जाएगा। इससे देश में डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन बैंकिंग को और ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकेगा।