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Elon Musk के Grok AI का करिश्मा: 24 घंटे से तड़प रहे मरीज की बचाई जान, डॉक्टर भी नहीं पकड़ पाए थे बीमारी

Grok AI Saves Man Life: डॉक्टर ने मरीज को गैस बताकर घर भेजा, लेकिन Grok AI ने बताया कि अपेंडिक्स फटने वाला है। जानें कैसे AI की सही सलाह से एक शख्स की जान बच गई।

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भारत

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Rahul Yadav

Dec 07, 2025

Grok AI Saves Man Life

Grok AI Saves Man Life (Image: Reddit)

Grok AI Saves Man Life: क्या हम उस दौर में आ गए हैं जहां मशीनों की समझ इंसानी डॉक्टरों पर भारी पड़ने लगी है? यह सवाल इसलिए पूछना पड़ रहा है क्योंकि एक 49 साल के शख्स के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। जिसे डॉक्टरों ने एसिडिटी बताकर घर भेज दिया था, उसकी जान आखिरकार एक AI चैटबॉट ने बचाई है। अगर उस रात टेक्नोलॉजी का साथ न मिलता, तो शायद कहानी का अंत बहुत बुरा होता।

आइए जानते हैं कि आखिर उस रात क्या हुआ था और एलन मस्क के ग्रोक (Grok) ने कैसे युवक की जान बचाई है?

24 घंटे दर्द में तड़पता रहा मरीज, पर डॉक्टर नहीं समझ पाए

रेडिट (Reddit) पर अपना दर्द साझा करते हुए एक यूजर ने बताया कि पिछले 24 घंटे उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थे। उसके पेट में इतना तेज दर्द उठ रहा था मानो अंदर कोई ब्लेड चला रहा हो। हालत ये थी कि वो बिस्तर पर सीधा लेट भी नहीं पा रहा था, बस जमीन पर घुटने मोड़कर लेटने से थोड़ी राहत मिल रही थी।

हैरानी की बात ये थी कि न तो उसे बुखार था और छूने पर पेट भी बिल्कुल नरम लग रहा था। जब दर्द बर्दाश्त से बाहर हुआ, तो वो अस्पताल भागा। वहां डॉक्टरों ने ऊपर-ऊपर से जांच की, पेट दबाकर देखा और बोले घबराने की बात नहीं, बस गैस-एसिडिटी है। उन्होंने दवा थमाई और घर भेज दिया।

जब दवा फेल हुई, तो AI बना आखिरी सहारा

घर आकर उसने दवा खाई, लेकिन दर्द टस से मस नहीं हुआ। तकलीफ बढ़ती जा रही थी। थक-हारकर उस शख्स ने अपना फोन उठाया और एलन मस्क की कंपनी xAI के चैटबॉट Grok को अपनी आपबीती बताई। उसने अपने एक-एक लक्षण को बारीकी से टाइप किया।

ग्रोक ने जो जवाब दिया, उसने मरीज के होश उड़ा दिए। AI ने साफ शब्दों में चेतावनी दी, "यह कोई मामूली एसिडिटी नहीं है। तुम्हारे लक्षण बता रहे हैं कि यह 'अटिपिकल अपेंडिसाइटिस' है या फिर पेट में अल्सर फटने वाला है। तुरंत अस्पताल वापस जाओ और CT स्कैन की जिद करो।"

डॉक्टर से छिपाई बात, तब जाकर हुआ स्कैन

AI की यह चेतावनी पढ़कर शख्स दोबारा अस्पताल की तरफ भागा। लेकिन इस बार उसने एक समझदारी दिखाई। उसे डर था कि अगर उसने डॉक्टर को बताया कि AI ने ऐसा कहा है तो डॉक्टर उसकी बात को मजाक में टाल सकते हैं या अनसुना कर सकते हैं।

इसलिए उसने डॉक्टर से यह बात छिपा ली। उसने Grok के बताए सटीक मेडिकल तर्कों को डॉक्टर के सामने ऐसे रखा जैसे उसे खुद इस बात का अहसास हो। उसने डॉक्टर से स्कैन के लिए बहस की और जिद पर अड़ गया। मरीज का आत्मविश्वास और सटीक तर्क सुनकर डॉक्टर भी मजबूर हो गए और उन्होंने स्कैन के लिए हां कर दी।

स्कैन की रिपोर्ट देख डॉक्टर भी रह गए सन्न

जैसे ही CT स्कैन की रिपोर्ट आई, वहां मौजूद डॉक्टरों के पैरों तले जमीन खिसक गई। ग्रोक का अंदाजा सौ प्रतिशत सही था। मरीज का अपेंडिक्स बुरी तरह सूज चुका था और वह फटने की कगार पर था। अगर थोड़ी देर और होती, तो इन्फेक्शन पूरे शरीर में फैल सकता था।

आनन-फानन में उसे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। करीब 6 घंटे की सर्जरी के बाद अपेंडिक्स निकाला गया। अब वो शख्स पूरी तरह ठीक है और अपने घर पर है।

तकनीक का इस्तेमाल करने में शर्म कैसी?

इस घटना के बाद उस शख्स ने रेडिट पर लिखा, "आज मैं जिंदा हूं तो सिर्फ उस AI की वजह से जिसने वो बीमारी पकड़ ली, जिसे डॉक्टर नहीं देख पाए।" उसने लोगों को सलाह दी है कि अगर आप दर्द में हैं और डॉक्टर आपको घर भेज दें, तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें। अगर रात के 3 बजे भी आप दर्द से तड़प रहे हैं और गूगल या AI पर लक्षण चेक कर रहे हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अपनी बात पर अड़े रहें और सही इलाज करवाएं, क्योंकि जान आपकी है।