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WhatsApp SIM Binding Rule: सर्वे में बड़ा खुलासा, 50% यूजर्स ने ठुकराया सरकार का सिम-बाइंडिंग प्लान, बताया बेहद असुविधाजनक

क्या है सरकार का नया WhatsApp SIM Binding Rule? एक सर्वे में 50% यूजर्स ने इसे असुविधाजनक बताया है। जानें मल्टी-डिवाइस और 6 घंटे वाले लॉग-आउट नियम का आप पर क्या असर होगा।

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भारत

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Rahul Yadav

Dec 11, 2025

WhatsApp SIM Binding Rule

सरकार के प्रस्तावित WhatsApp SIM Binding Rule के चलते बिना सिम वाले डिवाइसेज पर आपका कनेक्शन टूट सकता है, जिसे लेकर आधे से ज्यादा यूजर्स ने नाराजगी जताई है। (Image: Gemini)

WhatsApp SIM Binding Rule: सरकार ऑनलाइन फ्रॉड रोकने के लिए एक नया सुरक्षा चक्र तैयार कर रही है, लेकिन देश की जनता खासकर व्हाट्सएप और टेलीग्राम चलाने वाले यूजर्स इसे अपनाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। एक ताजा सर्वे में बड़ा खुलासा हुआ है कि जिन यूजर्स पर इस नए नियम का असर पड़ेगा, उनमें से 50% लोगों ने इसे साफ तौर पर ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि यह नियम सुरक्षा से ज्यादा परेशानी लेकर आएगा।

क्या है पूरा मामला? (What is SIM Binding)

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने प्रस्ताव रखा है कि मैसेजिंग ऐप्स को अब सिम-बाइंडिंग के जरिए चलना चाहिए। यानी, ऐप उसी डिवाइस में काम करेगा जिसमें सिम कार्ड लगा हो। साथ ही, लैपटॉप या डेस्कटॉप पर व्हाट्सएप चलाने वालों को हर 6 घंटे में दोबारा लॉग-इन करना पड़ेगा।

लेकिन लोकल सर्कल्स (LocalCircles) द्वारा किए गए सर्वे ने सरकार की इस मंशा पर जनता की बेरुखी की मुहर लगा दी है।

क्यों नाराज हैं आधे यूजर्स? (SIM Binding Rules Survey)

सर्वे में शामिल करीब 60% लोगों ने माना कि अगर यह नियम लागू हुआ, तो उनकी डिजिटल लाइफ अस्त-व्यस्त हो जाएगी। इनमें से आधे (50%) लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया है। विरोध की सबसे बड़ी वजह असुविधा है।

लोगों का तर्क है कि, हम डिजिटल युग में जी रहे हैं जहां एक इंसान एक साथ कई डिवाइसेज का इस्तेमाल करता है।

सर्वे के मुताबिक, 40% यूजर्स नियमित रूप से टैबलेट, लैपटॉप या डेस्कटॉप पर मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से कई डिवाइसेज में सिम कार्ड स्लॉट ही नहीं होता। अगर सिम का होना अनिवार्य कर दिया गया, तो लाखों लोग अपने टैब या पीसी पर काम नहीं कर पाएंगे।

ऑफिस में काम करने वाले लोग व्हाट्सएप वेब का इस्तेमाल करते हैं। नए नियम के तहत हर 6 घंटे में ऑटो-लॉगआउट होने का मतलब है बार-बार फोन उठाना और स्कैन करना। यूजर्स इसे काम में बेवजह की रुकावट मान रहे हैं।

विदेश यात्रा पर भी लटकी तलवार

सिर्फ ऑफिस ही नहीं, ट्रैवलिंग को लेकर भी लोगों में डर है। सर्वे में 52% लोगों ने कहा कि वे इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हैं कि अगर उनकी भारतीय सिम बंद हो या वे विदेश में हों, तो उनका व्हाट्सएप अकाउंट लॉक हो जाए।

अक्सर लोग विदेश में वाई-फाई के जरिए अपना पुराना व्हाट्सएप चलाते रहते हैं। लेकिन सिम-बाइंडिंग नियम के बाद, अगर फोन में एक्टिव सिम नहीं है तो ऐप भी जवाब दे जाएगा। हालांकि सरकार ने रोमिंग पर छूट की बात कही है, लेकिन यूजर्स को डर है कि तकनीकी पेंच में वे अपनों से कट सकते हैं।

क्या सरकार को बदलना होगा फैसला?

यह सर्वे स्पष्ट संकेत देता है कि जनता सुरक्षा चाहती है लेकिन अपनी आजादी और सहूलियत की कीमत पर नहीं। सर्वे रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को इसे अनिवार्य करने के बजाय ऑप्शनल रखना चाहिए।

जिस तरह से जनता का रिएक्शन आया है, उसे देखते हुए एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि सरकार को इस प्लान पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है। फिलहाल तो यही लग रहा है कि स्कैमर्स को रोकने के लिए बनाया गया यह प्लान आम यूजर्स के लिए ही सिरदर्द बन गया है।