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अधिकतर जिंसों पर पीले रंग की सिलाई क्यों होती है? बहुत रोचक है इसके पीछे की कहानी

हर जींस में एक बात कॉमन होती है, उसकी सुनहरी (पीली-नारंगी) सिलाई। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हर जींस में यही रंग क्यों इस्तेमाल किया जाता है?

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भारत

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Anurag Animesh

Oct 26, 2025

Denim Jeans

Denim Jeans(Image-Freepik)

जींस पहनना आज के युवा के लिए एक क्लासी फैशन है। आज के समय में युवा सबसे ज्यादा जींस पहनना पसंद करते हैं। जींस अधिकतर काले और नीले रंग की होती है। नीली, काली, रिप्ड या हाई-वेस्टेड जींस युवओं के रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन जरा गौर से देखेंगे तो हर जींस में एक बात कॉमन होती है, उसकी सुनहरी (पीली-नारंगी) सिलाई। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हर जींस में यही रंग क्यों इस्तेमाल किया जाता है?

Denim Jeans: क्या रहा है इतिहास?


यह कहानी 19वीं सदी के अमेरिका से शुरू होती है, जब जींस फैशन नहीं, बल्कि मेहनतकशों की जरूरत थी। उस दौर में गोल्ड माइनर्स, रेलवे वर्कर्स और काउबॉयज को ऐसे कपड़ों की जरूरत थी जो कठोर काम में भी टिके रहें। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए Levi Strauss और Jacob Davis ने साल 1873 में पहली बार रिवेट्स वाली डेनिम पैंट्स का पेटेंट कराया। उस वक्त पीले-नारंगी रंग के धागे का चयन किसी फैशन सोच के तहत नहीं, बल्कि व्यावहारिक कारणों से किया गया था। यह रंग कॉपर रिवेट्स (जेब के कोनों पर लगने वाले धातु के टुकड़े) से मेल खाता था और जींस को मजबूत और एकसमान लुक देता था। साथ ही यह धागा गहरे नीले इंडिगो फैब्रिक पर साफ दिखाई देता था, जिससे दर्जियों के लिए सिलाई करना आसान होता था।

वर्कवियर से फैशन तक का सफर

जब जींस अमेरिकी खान मजदूरों से निकलकर हॉलीवुड के मंच तक पहुंची, तो यह सुनहरी सिलाई भी उसके साथ चली आई। 1950 के दशक में James Dean और Marlon Brando जैसे सितारों ने जींस को विद्रोह और स्वतंत्रता का प्रतीक बना दिया। अब यह सिलाई मेहनत की नहीं, बल्कि "कूलनेस" की निशानी बन गई थी।भारत में जींस का सफर एक विदेशी ट्रेंड से शुरू हुआ, लेकिन अब यह हर पीढ़ी की अलमारी का जरूरी हिस्सा है।

Denim Jeans का बढ़ता दायरा


आज जब फैशन जगत "सस्टेनेबल" बनने की ओर बढ़ रहा है, तो डेनिम फिर अपने पुराने रूप में लौट रहा है। हाथ से बना, टिकाऊ और सोच-समझकर तैयार किया गया। भारत और जापान जैसे देशों में अब कई ब्रांड प्राकृतिक रंगों से बने पीले धागों का उपयोग कर रहे हैं। कभी हल्दी, तो कभी पौधों से निकले रंगों से। इससे न केवल प्रदूषण घटता है, बल्कि हर जींस को एक अनोखा, गहराता हुआ सुनहरा रंग मिलता है। कई जगहों पर हाथ की सिलाई दोबारा लौट रही है। ये बात गौर करने लायक है कि सिर्फ एक रंग का फैसला, जो 150 साल पहले लिया गया था, आज भी फैशन की दुनिया में कायम है। डिजाइनर भले ही अब नई-नई सिलाई शैलियों और रंगों से प्रयोग कर रहे हों, लेकिन डेनिम की पहचान आज भी वही सुनहरी पीली रेखाएं हैं।