12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

1931 में बनी महात्मा गांधी की अनोखी पेंटिंग 1.63 करोड़ में नीलाम, जानिए क्या है इसमें खास?

Mahatma Gandhi Portrait: 1931 में बनी महात्मा गांधी की एकमात्र ऑयल पेंटिंग जिसे उन्होंने खुद बैठकर बनवाया था, लंदन में 1.63 करोड़ रुपये में नीलाम हुई। जानिए इस ऐतिहासिक चित्र की खासियत और इससे जुड़ी अनसुनी कहानी।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Rahul Yadav

Jul 17, 2025

Mahatma Gandhi Portrait

महात्मा गांधी (फोटो सोशल मीडिया)

Mahatma Gandhi Portrait: लंदन में आयोजित एक नीलामी में महात्मा गांधी की एक अनोखी और ऐतिहासिक पेंटिंग ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। यह वही चित्र है जिसे गांधीजी ने स्वयं बैठकर बनवाने की अनुमति दी थी और ऐसा उन्होंने जीवन में केवल एक बार किया था। ब्रिटिश कलाकार क्लेयर लीटन ने यह दुर्लभ ऑयल पोट्रेट तैयार किया था जिसे 1.63 करोड़ रुपये में बेचा गया है।

गोलमेज सम्मेलन के दौरान बनी थी ये पेंटिंग

यह पेंटिंग वर्ष 1931 में उस समय बनाई गई थी जब महात्मा गांधी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन गए थे। यह सम्मेलन ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेताओं के बीच भारत के भविष्य को लेकर बातचीत के लिए आयोजित किया गया था।

ब्रिटेन की प्रसिद्ध कलाकार क्लेयर लीटन जो आमतौर पर अपनी लकड़ी की नक्काशी के लिए जानी जाती थीं, को गांधीजी की पेंटिंग बनाने की दुर्लभ अनुमति मिली थी। लीटन को गांधीजी से परिचय उनके साथी, प्रसिद्ध पत्रकार और भारत समर्थक हेनरी नोएल ब्रेल्सफोर्ड के माध्यम से हुआ था।

जब गांधी जी ने पहली और आखिरी दिया था पोज

गांधीजी आमतौर पर चित्र बनवाने के लिए नहीं बैठते थे। लेकिन लीटन को उन्होंने यह अनुमति दी थी। लीटन ने कई सुबह गांधीजी के साथ बिताईं और उन्हें उनके पारंपरिक अंदाज में स्केच बनाया जिसमे चादर ओढ़े, सिर खुला, और एक उंगली हवा में उठाए जैसे वे कोई बात समझा रहे हों। इस दृश्य को लीटन ने बड़ी सहजता और सजीवता से ऑयल पेंटिंग में उतारा।

प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बनी पेंटिंग

यह पोर्ट्रेट पहली बार नवंबर 1931 में अल्बानी गैलरी, लंदन में प्रदर्शित किया गया था। हालांकि गांधीजी स्वयं वहां उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सदस्य जैसे सरोजिनी नायडू और सर पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास उपस्थित थे।

दशकों तक निजी संग्रह में रही, अब नीलामी में तोड़ा रिकॉर्ड

यह पेंटिंग क्लेयर लीटन के पास 1989 में उनकी मृत्यु तक सुरक्षित रही। बाद में यह उनके परिवार के पास रही। 1974 में जब यह चित्र सार्वजनिक प्रदर्शन में था तो किसी ने इस पर चाकू से हमला कर दिया था। इसके बाद इसे लायमन एलिन म्यूजियम की प्रयोगशाला में सावधानी से संरक्षित किया गया। 1978 में इसे एक बार बोस्टन पब्लिक लाइब्रेरी में प्रदर्शित किया गया लेकिन उसके बाद यह पेंटिंग दशकों तक सार्वजनिक नजरों से दूर रही।

अनुमान से दोगुनी कीमत पर नीलाम हुई ये पेंटिंग

बोनहम्स (Bonhams) नामक नीलामी संस्था ने इस पेंटिंग की अनुमानित कीमत 53 लाख से 74 लाख रुपये (करीब £50,000 - £70,000) रखी थी। लेकिन यह नीलामी में 1.63 करोड़ रुपये (लगभग £1,52,800 या $2,04,648) में बिकी, यानी अनुमान से दोगुना से भी ज्यादा कीमत पर नीलम हुई।

खरीदार कौन? रहस्य बरकरार

नीलामी संस्था ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि इस ऐतिहासिक पेंटिंग को किसने खरीदा है और क्या इसे अब आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा या नहीं। हालांकि, यह चित्र आज भी गांधीजी के विचारों और सादगीपूर्ण जीवन के सजीव प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।