11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Milkshake Side Effects: मिठास के पीछे छिपा खतरा, मिल्कशेक क्यों बिगाड़ सकते हैं दिमाग की सेहत?

Milkshake Side Effects: क्या आप जानते हैं कि यही मीठा और गाढ़ा शेक आपके दिमाग पर धीरे-धीरे जहर जैसा असर डाल सकता है?हाल ही में हुई एक रिसर्च जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल फिजियोलॉजी ने मिल्कशेक को बताई दिमाग को कमजोर करने की वजह।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MEGHA ROY

Sep 12, 2025

Milkshake, Brain Cells, Health Tips, milkshake side effects,

Milkshake may spoil brain health|फोटो सोर्स – Freepik

Milkshake Side Effects: ठंडे और क्रीमी मिल्कशेक का नाम सुनते ही किसी का भी मन ललचा जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी या बनाना मिल्कशेक सबके फेवरेट होते हैं। अक्सर लोग इसे एनर्जी और न्यूट्रिशन से भरपूर हेल्दी ड्रिंक मानकर पीते भी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही मीठा और गाढ़ा शेक आपके दिमाग पर धीरे-धीरे जहर जैसा असर डाल सकता है? हाल ही में हुई एक रिसर्च जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल फिजियोलॉजी ने चेतावनी दी है कि ज्यादा मिल्कशेक का सेवन मानसिक स्वास्थ्य और ब्रेन सेल्स दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

Side Effects Of Milkshake: कैसे असर डालता है मिल्कशेक?

मिल्कशेक में दो चीजें सबसे ज्यादा पाई जाती हैं शुगर और फैट। जब हम इसे बार-बार पीते हैं, तो शरीर में ब्लड शुगर का लेवल अचानक ऊपर-नीचे होने लगता है, जिसे ब्लड शुगर फ्लक्चुएशन कहा जाता है। यह उतार-चढ़ाव धीरे-धीरे ब्रेन सेल्स को कमजोर करने लगता है। हाई फैट कंटेंट वाली चीजें दिमाग में ब्लड फ्लो को प्रभावित करती हैं, जिससे स्ट्रोक और डिमेंशिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, अधिक शुगर का सेवन ब्रेन के न्यूरॉन्स पर दबाव डालता है, जिससे मेमोरी लॉस और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स का रिस्क बढ़ सकता है। इसके अलावा, रिसर्च के अनुसार ज्यादा शुगर-फैट वाली डाइट दिमाग के उस हिस्से यानी हिप्पोकैम्पस को भी प्रभावित करती है, जो हमारी सीखने और याद रखने की क्षमता को कंट्रोल करता है।

क्यों बढ़ता है खतरा?


बार-बार मिल्कशेक पीने से दिमाग की कोशिकाएं समय से पहले बूढ़ी होने लगती हैं। ऐसे लोग अक्सर थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान न लगने जैसी समस्याओं से जूझ सकते हैं। लंबे समय तक इसका असर डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों तक भी पहुंच सकता है।

क्या हैं सेफ ऑप्शन?

  • ताजे फलों को दूध या दही के साथ बिना चीनी मिलाकर स्मूदी बनाएं।
  • चाहें तो शहद, खजूर या गुड़ का इस्तेमाल करें।
  • रोजाना नहीं, बल्कि हफ्ते में 1-2 बार ही शेक का मजा लें।
  • रोजाना शेक देने के बजाय बच्चों को फल खाने की आदत डालें।