Business class parenting lesson: नोएडा स्थित एक स्टार्टअप के सीईओ (Indian CEO viral post) मयंक आर्य ( Mayank Arya) की एक पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। उन्होंने लिंक्डइन पर एक अनुभव साझा किया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अपने बच्चों (parenting mistake by CEO) को बिजनेस क्लास में यात्रा कराना एक गलत निर्णय साबित हुआ। आर्य ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि यह उनके बच्चों के लिए एक खास अनुभव होगा -आरामदायक सीटें, बढ़िया खाना और बेहतरीन सेवा। लेकिन इस लग्जरी के बीच एक अहम चीज़ छूट गई -परिवार का साथ और भावनात्मक जुड़ाव (kids in business class)। उन्होंने लिखा, "बिजनेस क्लास (business class parenting) की सीटें दूर-दूर थीं, बच्चे पास नहीं बैठ पाए। वो छोटे-छोटे पल नहीं आ सके – जैसे 'पापा, और कितना टाइम लगेगा?' या 'ये गेम खेलें?'"
सीईओ मयंक आर्य ने आगे कहा कि एक पिता होने के नाते केवल आराम देना काफी नहीं है। असली मूल्य बच्चों को जीवन के संघर्ष और मेहनत से अवगत कराना है । "संघर्ष दिखाना ज़रूरी है। आकांक्षाएं जगानी चाहिए। बिजनेस क्लास तब तक नहीं, जब तक बच्चे खुद वहन न कर सकें। सिर्फ इसलिए नहीं कि उनके पिता कर सकते हैं।"
पोस्ट के वायरल होने के बाद कई पेरेंट्स और यूजर्स ने उनकी सोच की तारीफ की। कई लोगों ने कहा कि आज के समय में यह सोच प्रेरणादायक है जब ज़्यादातर लोग सिर्फ दिखावे पर ध्यान देते हैं।
आज की पेरेंटिंग में भौतिक सुख से अधिक मूल्य शिक्षा की ज़रूरत है। CEOS और प्रभावशाली लोग जब ऐसे विचार साझा करते हैं, तो उसका असर समाज पर गहरा पड़ता है। यह उदाहरण बताता है कि हर यात्रा सिर्फ सफर नहीं होती – वह एक सीख भी होती है।
"सही कहा सर! आजकल ज़्यादातर पैरेंट्स दिखावे में पड़ जाते हैं, ये पोस्ट आंखें खोलने वाली है।"
"ये एक सच्चे लीडर की सोच है - न सिर्फ कंपनी के लिए, बल्कि परिवार के लिए भी।"
बच्चों को सीमाओं में रहना सिखाना ज़रूरी है। विलासिता में बड़ा होना कई बार संवेदनशीलता छीन लेता है। यह निर्णय उनके लिए एक वास्तविकता की झलक है, जिससे वे भविष्य में अधिक ज़िम्मेदार बन सकते हैं।
क्या YesMadam जैसी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों को भी वैल्यू-बेस्ड पेरेंटिंग के लिए ट्रेनिंग या गाइडलाइन देती हैं?
क्या इस सोच से स्टार्टअप जगत में एक नया ट्रेंड शुरू हो सकता है – जहां वैल्यू-बेस्ड फैमिली कल्चर को बढ़ावा मिले?
क्या ऐसे पोस्ट्स युवा पैरेंट्स के लिए रियल-लाइफ एजुकेशन टूल बन सकते हैं?
क्या लग्जरी का जल्दी एक्सपोज़र बच्चों में entitlement बढ़ाता है?
मयंक आर्य जैसे संस्थापकों की व्यक्तिगत सोच क्या कंपनी के वर्क कल्चर को भी प्रभावित करती है?
यह ट्रेंड उन माता-पिता के लिए भी आईना है, जो हर चीज बच्चों को "फौरन" देना चाहते हैं।
इनपुट : LinkedIn/@MayankArya की पोस्ट
Published on:
06 Jul 2025 10:12 am