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ठंड से बचने के लिए गरीबों को चुकानी पड़ेगी कीमत, सरकारी मदद में गोलमाल

सरकार का दावा निशुल्क सेवा का लेकिन यहां आश्रयहीनों से शुल्क वसूलने की तैयारी

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लखनऊ

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Dikshant Sharma

Jan 06, 2018

ran basera

ran basera lucknow

लखनऊ. अगर आप गरीब हैं और आपके पास पहचान पत्र नहीं है तो सर्द रातों में फुटपाथ पर ही सोना पड़ेगा। और अगर पहचान पत्र है भी तो अपनी कमाई का 20 प्रतिशत तक शेल्टर होम में गुजारने के लिए चुकाना होगा।

ये हम नहीं बल्कि गरीबों को छत्त देने का ज़िम्मा उठाने वाले विभाग के आदेश कह रहे हैं।

ठंड से बचाव के लिए बेघरों को रैन बसेरे में ठहरने की निशुल्क व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश सरकार विज्ञापनों के माध्यम से डंके की चोट पर इसका प्रचार भी कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकारी विभाग वर्क आर्डर जारी करते हुए इन शेल्टर होम में रात गुज़ारने वाले गरीबों से भी पैसा वसूलने का निर्णय ले चुके हैं।

क्या है मामला
लखनऊ नगर निगम द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि आश्रयहीनों को अपनी आय का 10 से लेकर 20 प्रतिशत हिस्सा शुल्क के रूप में चुकाना होगा। ये प्रति महीने होगा या प्रत्येक दिन ये निर्णय आवश्यकता के आधार पर लिया जाएगा। यही नहीं अगर बेघरों के पास आधार या कोई पहचान पत्र नहीं है तो ऐसे गरीब इन शेल्टर होम में रुक भी नहीं सकेंगे। ये शर्त एनयूएलएम के शेल्टर होम्स में लागू होगी। अभी तक नगर निगम के बने इन रैन बसेरों में बेघरों को निशुल्क ठहराया जाता था। यही वजह है कि अधिकतर गरीब बेघर फुटपाथ पर ही रात बिताने के लिए मजबूर हैं।

सरकार ने कहा 15 शेल्टर होम निशुल्क, लेकिनं इनमें भी चुकाना होगा पैसा
शहर में नगर निगम के बनाए गए नौ रैन बसेरों का संचालन निजी संस्थाओं को दिया गया है। संस्था को रैन बसेरे के संचालन के लिए हर साल 6 लाख रुपए मिलेंगे। केंद्र सरकार से मिलने वाली धनराशि के अलावा शेलेटर होम में रहने वालों की आय का 20% तक की राशि वसूली जाएगी। सरकार द्वारा दिए गए विज्ञापन में 15 निशुल्क शेल्टर होम की बात कही गई थी जबकि इनमें से चार प्राइवेट संस्था को संचालन के लिए दे दिए गए हैं।

3.20 करोड़ की लागत से बनाए गए इन रैन बसेरों के संचालन के लिए अभी 1.85 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इन संस्थाओं को दिए गए कार्यादेश में शेल्टर होम में रहने वाले अंतः वासियों को सहभागिता सुनिश्चित करने के आशय से प्रबंधन समिति के सामान्य से उनकी 1 /10 या 1/ 20 के बीच का हिस्सा शुल्क के रुप में निर्धारित किया जाएगा। यह शुल्क प्रतिदिन अथवा माह के आधार पर आवश्यकतानुसार तय किया जाएगा।

ठंड के कहर को देखते हुए हाल ही में राज्य सरकार द्वारा बेघरों का सर्वेक्षण भी कराया गया था। उन्हें शेल्टर होम तक पहुंचाने की ज़िमेदारी प्रबंधन समिति थी। फिलहाल इस समिति का गठन अभी तक नहीं किया गया है। यही नहीं समिति के गठन ना होने पर यहां रुकने के लिए लिया जाने वाले शुल्क और भोजन की दरें भी तय नहीं की जा सकी है। ये हाल तब है जब सर्दी का सितम चरम पर है।

आधार या परिचय पत्र अनिवार्य
आश्रम में रहने वालों के लिए आधार अनिवार्य किया गया है। सभी को आधार की फोटो कॉपी अपने साथ रखनी होगी। आधार ना होने पर शेल्टर होम में प्रवेश के 24 घंटे के भीतर आधार का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। आधार ना होने पर तत्कालीन तौर पर पहचान के अन्य अभिलेख देना होगा।

सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को मुफ्त भोजन
कार्यक्रमों में भोजन की व्यवस्था भी किसी संस्था को करनी है। खाद एवं रसद विभाग की ओर से जारी आदेश में शेल्टर होम में रुकने वाले वृद्ध विकलांग और अक्षम लोगों में से 10% लोगों को ही निशुल्क भोजन दिया जाएगा।

संस्था को दिए गए शेल्टर होम
पलटन छावनी में 2 मंजिला आश्रय गृह में 50 व्यक्ति ठहर सकते हैं। जियामऊ में 50 व्यक्ति, कानपुर रोड चुंगी में 16 व्यक्ति, डालीगंज में 40 व्यक्ति, 35 व्यक्तियों के लिए चकबस्त रोड, 30 व्यक्ति के लिए लाटूश रोड, 21 व्यक्तियों के लिए ब्लॉक सी इंदिरा नगर, 17 व्यक्ति के लिए अमीनाबाद और लक्ष्मण मेला मैदान में 50 व्यक्तियों के लिए रैन बसेरा का संचालन निजी संस्था को दिया गया है।


डूडा की परियोजना अधिकारी निधि वाजपेई ने बताया कि एनयूएलएम से संचालित शेल्टर होम में बेघरों को रोकने के लिए कम से कम 10 रूपए देने होंगे। उचित दरों की दुकानों से रेट तय होने के बाद भोजन व्यवस्था की जाएगी। प्रबंधन समिति में अध्यक्ष संबंधित जोन के जोनल अधिकारी होंगे और जनप्रतिनिधि इसक समिती के सदस्य होंगे।

मेयर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि उन्होंने शेल्टर होम का औचक निरक्षण किया और तब उन्हें पता चला कि इसके ज़िम्मेदारी निजी संस्था को दी गई है। संस्था द्वारा गरीबों से शुल्क लेने की तैयारी है इसकी जानकारी नहीं है। इस सम्बन्ध में अधिकारियों से तुरंत जवाब तलब किया जाएगा।