
माओवादियों को हथियार सप्लाई मामले में 20 सुरक्षाकर्मियों समेत 24 लोगों को 10 साल की सजा।
उत्तर प्रदेश की एक विशेष अदालत ने साल 2010 के एक मामले में राज्य पुलिस, पीएसी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के 20 कर्मियों सहित 24 लोगों को 10 साल की सजा सुनाई। यह केस माओवादियों और आतंकवादियों को हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई से संबंधित था।
रामपुर के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (फौजदारी) प्रताप सिंह मौर्य के अनुसार, विशेष न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम) विजय कुमार की अदालत ने गुरुवार को दोषी पाए गए आरोपियों पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया।
दो CRPF जवानों को कई कारतूसों के साथ किया गया था गिरफ्तार
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक माओवादियों और आतंकवादियों को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति का खुलासा तब हुआ, जब 10 अप्रैल, 2010 को रामपुर में राज्य पुलिस के एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा सीआरपीएफ के दो कांस्टेबलों को कई कारतूसों के साथ गिरफ्तार किया गया।
मौर्य के अनुसार, एसटीएफ इस इनपुट पर कार्रवाई कर रही थी कि रामपुर में सीआरपीएफ रिजर्व और राज्य भर में विभिन्न पीएसी इकाइयों से प्रयागराज में एक व्यक्ति के माध्यम से राज्य, बिहार और झारखंड में माओवादियों और आतंकवादियों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति की जा रही थी।
25 सुरक्षाकर्मियों को किया गया था गिरफ्तार
उन्होंने बताया कि यह सूचना उस साल 6 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक घातक माओवादी हमले में 76 सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने के कुछ दिनों बाद मिली थी। जांच के दौरान, एसटीएफ द्वारा रामपुर, गोरखपुर, प्रयागराज सहित राज्य भर से पुलिसकर्मियों, सीआरपीएफ और पीएसी कर्मियों सहित कुल 25 को गिरफ्तार किया गया था।
जुलाई 2010 में, पुलिस ने मामले के संबंध में 25 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इनमें 21 सीआरपीएफ, पीएसी और पुलिस कर्मी शामिल थे। हालांकि, आरोपियों में से एक, यशोदा नंद, जो पीएसी के सेवानिवृत्त शस्त्रागार थे, उनकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।
छह लोग हो चुके हैं रिटायर्ड
गुरुवार को बाकी सभी 24 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात), धारा 413 (आदतन चोरी की संपत्ति का सौदा करना), धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया। 20 कर्मियों में से 14 दोषी ठहराए जाने तक अभी भी सेवा में थे, जबकि छह पिछले 13 वर्षों में सेवानिवृत्त हो गए।
आरोपियों की पहचान विनोद पासवान, विनेश कुमार, दिनेश कुमार, अमर सिंह, बनवारी लाल, राजेश शाही, राजेश कुमार सिंह, अमरेश कुमार, विनोद कुमार सिंह, वंश लाल, नाथी राम, सुशील कुमार मिश्रा, जितेंद्र सिंह, अखिलेश कुमार के रूप में की गई। राम कृपाल सिंह, मनीष राय, रजई पाल सिंह, बबुरी, ओम प्रकाश सिंह, राक कृष्ण शुक्ला और नागरिक दिलीप राय, आकाश उर्फ गुड्डु, मुरली धर शर्मा और शंकर शामिल हैं।
मौर्य के अनुसार, नंद और दो सीआरपीएफ कांस्टेबल विनोद पासवान और विनेश कुमार को शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद में नाथी राम सैनी नामक व्यक्ति को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया। यशोदा नंद ने आरोपी लोगों के नाम और बैंक खातों के विवरण के साथ एक डायरी प्रदान की थी, जिसके बाद बचे लोगों की गिरफ्तारियां की गईं।
Updated on:
15 Oct 2023 01:34 pm
Published on:
15 Oct 2023 01:33 pm
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