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कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने ट्विटर अकाउंट से हटाया पार्टी का नाम

रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पार्टी कांग्रेस (INC) का नाम हटा लिया है।

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

May 27, 2020

Aditi Singh

Aditi Singh

लखनऊ. रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पार्टी कांग्रेस (INC) का नाम हटा लिया है। अब उनके ट्विटर अकाउंट पर केवल रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह लिखा है। उनके इस कदम से अचानक राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। हाल ही में अदिति सिंह ने कांग्रेस पर अन्य राज्यों से लाए जा रहे श्रमिकों के मामले पर निशाना साधा था, जिसके बाद से उन्हें पार्टी से निलंबल करने की कार्यवाई जारी है। इससे पूर्व उन्होंने बीते वर्ष गांधी जयंती के मौके पर कांग्रेस द्वारा मना किए जाने के बावजूद यूपी सरकार द्वारा विधानसभा में बुलाए गए विशेष सत्र में शामिल होकर कांग्रेस को निराश किया था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया से जोड़कर देख रहे लोग-

अदिति सिंह के इस कदम को लोग मध्य प्रदेश में भाजपा में शामिल हुए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से जोड़कर देखने लगे हैं। अदिति की तरह सिंधिया ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने से पूर्व अपने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस पार्टी का नाम हटा लिया था। जिसके बाद वह भाजपा में शामिल भी हो गए थे।

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अदिति सिंह ने किया था ट्वीट-

अदिति सिंह ने ट्वीट कर कहा था, "आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत,एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान,पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई। कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बार्डर तक ना छोड़ पाई,तब सीएम योगी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।"

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विधानसभा से अदिति की सदस्यता रद्द करने की कोशिश जारी-

अदिति सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की कोशिशे जारी हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के पास नवम्बर 2019 को याचिका दी गई थी। दो बार उन्हें याद दिलाने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष को सदस्यता रद्द करने की अपील की जा चुकी है।