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लखनऊ

सिर्फ 100 दिन बाद सरसों के तेल में आएगी भारी गिरावट, इस वर्ष यूपी में बढ़ा सरसों की बुआई का रकबा

यूपी में इस साल आ गया है येलो रिवॉल्यूशन, अब सरसों के तेल की कीमतों में आएगी गिरावट। 25 साल बाद सरसों की उपज मामले में नंबर वन बन सकता है उप्र। पिछले वर्ष की तुलना में सरसों के बुआई रकबे में 35 फीसद से अधिक की हुई वृद्धि। तेलों के दामों में आए उछाल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कृषि विभाग ने किसानों को सरसों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के चलाए गये अभियान से यह बदलाव संभव हुआ है।

लखनऊDec 16, 2021 / 11:15 pm

Sanjay Kumar Srivastava

सिर्फ 100 दिन बाद ​सरसों के तेल में आएगी भारी गिरावट, इस वर्ष यूपी में बढ़ा सरसों की बुआई का रकबा

सिर्फ 100 दिन बाद ​सरसों के तेल में आएगी भारी गिरावट, इस वर्ष यूपी में बढ़ा सरसों की बुआई का रकबा

लखनऊ. बस थोड़ा इंतजार करें आने वाले दिनों में सरसों के तेल की कीमत में भारी गिरावट आने वाली है। यूपी में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में सरसों की बुआई के रकबे में 35 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में किसानों ने 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती की है। यह प्रदेश के लिए येलो रिवॉल्यूशन (पीली क्रांति) का आगाज है। इसके चलते वर्षों बाद राज्य के किसानों के लक्ष्य से अधिक भूमि पर सरसों की खेती कर रहे हैं।
इस बार 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में झूम रही सरसों की फसल –

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 7.80 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती का लक्ष्य रखा गया था। यह टार्गेट हर हाल में पूरा हो। इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों ने गांव-गांव जाकर किसानों को सरसों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। उनको बेहतर उपज और फसल के सम सामयिक देखरेख के बारे में जानकारी दी। इसका यह परिणाम हुआ कि राज्य में करीब 20 लाख से अधिक किसानों ने सरसों की खेती करने को प्राथमिकता दी। किसानों के ऐसे प्रयास से राज्य में 9.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की फसल झूम रही है।
इस बार यूपी में होगी सरसों की बंपर फसल –

कृषि विभाग के अफसरों का दावा है कि वर्षों बाद राज्य में सरसों की बंपर फसल होगी और जल्दी ही यूपी फिर सरसों के उत्पादन में प्रमुख राज्य बन जाएगा। बीते साल राज्य में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती ही गई थी और 10.07 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ है। इस वर्ष 10 लाख मीट्रिक टन से काफी अधिक सरसों का उत्पादन होने का दावा कृषि विभाग के अधिकारी कर रहे हैं।
तिलहन उत्पादन में दूसरे नंबर पर यूपी –

अभी देश में मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में दूसरे नंबर पर है। देश में कुल उत्पादन का 16 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। मध्य प्रदेश में 24 फीसद, महाराष्ट्र में 14 फीसद, राजस्थान में छह फीसद आंध्र प्रदेश 10 फीसद और कर्नाटक में सात फीसद तिलहन का उत्पादन होता है। गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा और झारखंड सहित अन्य राज्यों में 23 फीसद उत्पादन होता है। तिलहन में रबी और खरीफ दोनों ही फसलें आती हैं। कुल उत्पादन का लगभग 64 फीसद रबी, 30 फीसद खरीफ और छह फीसद जायद की फसल में उत्पादन होता है।
25 साल पहले सरसों उत्पादन में नम्बर वन था उत्तर प्रदेश –

सरसों अनुसंधान निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 25 साल पहले सरसों उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान था, लेकिन ज्यादा उत्पादन वाली गेहूं की नई किस्मों के आने से गेहूं का क्षेत्रफल बढ़ता गया।। वर्ष 1981-82 में सरसों का क्षेत्रफल 22.76 लाख हेक्टेयर था, जोकि पूरे देश के सरसों की खेती के क्षेत्रफल का 50 प्रतिशत था, लेकिन इसके बाद सरसों के क्षेत्रफल में लगातार गिरावट आती रही।
सरसों की एमएसपी है 5050 रुपए –

सरसों के उत्पादन घटने के पीछे दरअसल एक ही नहीं कई कारण थे। एक तो जिस तरह से गेहूं का एमएसपी बढ़ती गई, उस तरह से सरसों का नहीं बढ़ा है। अब जब किसानों की आय में इजाफा करने के लिए सरकार ने इस तरफ ध्यान दिया तो एमएसपी बढ़ी है। सरकार ने 5050 रुपए समर्थन मूल्य रखा है।
सिर्फ 100 दिन का करें इंतजार-

जिसका संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी ने सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का अभियान चलवाया। जिसका असर अब राज्य के हर जिले में दिखने लगा है। लखनऊ में सरसों की खेती तथा उत्पादन की बात करें तो नौ हजार हेक्टेयर में तिलहन की खेती होती रहे है। इस बार यह बढ़कर 15000 हेक्टेयर हो गया है। करीब 100 दिनों में फसल तैयार होकर बाजार में आएगी।

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