बोर्ड ने एक विज्ञप्ति में कहा, भारत जैसे बहु-धार्मिक, बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी देश के लिए ऐसा कोड न तो प्रासंगिक है और न ही फायदेमंद है। एआईएमपीएलबी ने सभी से धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत कानूनों को बनाए रखने की भी अपील की।
बोर्ड ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1992 का राष्ट्रहित में शब्दों और भावना से पालन किया जाना चाहिए। बोर्ड ने अदालतों से अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों पर अत्याचारों पर ध्यान देने का भी आग्रह किया है क्योंकि न्यायपालिका सभी नागरिकों की आखिरी उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में वक्फ की सुरक्षा, गरीबों और मुसलमानों की शिक्षा के लिए इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है, महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई।
बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भाग लिया।
एआईएमपीएलबी के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि धर्मांतरण सहित समुदाय द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों और ज्ञानवापी मामले पर भी चर्चा की गई।
एआईएमपीएलबी में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत 51 कार्यकारी सदस्य हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी गंभीरता से चर्चा में हिस्सा लिया।
Ritesh Singh
रितेश सिंह पत्रिका डिजिटल टीम की ग्राउंड टीम की सदस्य हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ से नियमित राजनीति, क्राइम, वुमेन से जुड़े विषयों की रिपोर्टिंग कर रही हैं।