उत्तर प्रदेश में जब मायावती के नेतृत्व में बसपा सरकार (2007-2012) बनी। सरकार ने शिक्षकों को मिलाकर लगभग 5000 राज्य कर्मचारियों को प्रमोशन किया गया था। इसके खिलाफ कुछ लोग अदालत भी गए, जहां इस पर रोक लगा दी गई। 2012 में जब सपा की सरकार सत्ता में आई तो उसने अपने चुनावी वादों के मुताबिक, प्रमोशन में आरक्षण का कोटा खत्म कर दिया। अखिलेश सरकार ने बसपा सरकार में प्रमोट हुए राज्यकर्मचारियों को फिर से रिवर्ट कर दिया। उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचरियों की संख्या करीब 18 लाख है, जिसमें आरक्षित सीटों के तहत नौकरी पाये लोगों की संख्या करीब पांच लाख है।
2014 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोटरों ने बीजेपी के लिये जमकर वोट किया था। लेकिन हालिया संपन्न हुए उपुचनावों के परिणाम देखते हुए लग रहा है कि ओबीसी वोटर बीजेपी से छिटक रहे हैं। ऐसे में प्रमोशन में आरक्षण के सहारे बीजेपी एक बार फिर वोट बैंक को सहेजने की जुगत में है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सहारा लेते हुए भाजपा नेताओं का कहना है कि ओबीसी को आरक्षण में आरक्षण दिलाए जाने की तैयारी की जा रही है।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार लोकसभा से पदोन्नति बिल पास नहीं कराती, दलितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। समिति के पदाधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के सभी आठ लाख दलित कर्मियों से आंदोलन के लिये तैयार रहने को कहा है। पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक लोकसभा में लम्बित संविधान संशोधन 117वां बिल पास नहीं हो जाता, दलित कर्मियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलना संभव नहीं है।