
Akhilesh yadav
लखनऊ. तेंदुए की मौजूदगी से बीते दिनों लखनऊ में लोग खौफ में जी रहे थे और इसका आज संज्ञान लेते हुए पुलिस और वन विभाग ने एक्शन लिया, लेकिन इस दौरान तेंदुआ तभी काबू में आया जब पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से उसकी मौत हो गई। पुलिस की इस कार्रवाई को एंकाउंटर का नाम दिया जा रहा है और वह अपनी पीठ थपथपा रही है, हालांकि वन विभाग द्वारा जताई गई आपत्ति के बाद पुलिस विभाग द्वारा 'एंकाउंटर स्पेशलिस्ट' को दी गई 50,000 रुपए की इनामी राशि को वापस कर दिया गया और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। सवाल उठ रहा है कि जब तेंदुए को बेहोशी का इंजेक्शन देकर काबू में किया जा सकता था, तब गोली चलाकर उसकी हत्या करने की जरूरत क्यों पड़ी। बेजुबान जानवर को क्या मौत के घाट उतारना सही था? इस मामले पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपनी आवाज बुलंद कर तेंदुए की मौत पर दुख जताया है और एंकाउंटर करने वाले पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साथ ही उन्होंने एंकाउंटर में इस नए चलन पर सवाल भी खड़े किए हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया ट्वीटर पर अपने आधिकारिक अकाउंट पर कहा है, "कौन सा कानून कहता है कि जानवरों को पकड़ने की जगह जान से मार दिया जाए, बेहोश भी तो कर सकते थे। नई सरकार में क्या जानवरों के भी एकांउटर का चलन शुरु हो गया है। ये गैर कानूनी है, इसके जिम्मेदार बचने नहीं चाहिए।"
यह था मामला-
बीते 72 घंटे से औंरगाबाद खालसा गाॅव में तेंदुए की दहशत थी। वहीं आज पुलिस विभाग सक्रिय हुआ और आशियाना पुलिस द्वारा तेंदुए को मार गिराया गया। इस दौरान ऐसो आशियाना त्रिलोकी सिंह घायल भी हो गए थे। दहशत खत्म और बहादुरी दिखाने के लिए पुलिस विभाग की ओर से 50 हज़ार का नगदी इनाम भी घोषित किया गया, लेकिन एनिमल एक्टिविस्ट्स और वन विभाग ने पूरी घटना पर सवाल खड़े कर दिए, जिसके बाद आनन फानन में पुलिस विभाग ने इनाम को वापसी लिया, वहीं वन विभाग ने मामले में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दे दिए हैं।
Updated on:
17 Feb 2018 07:36 pm
Published on:
17 Feb 2018 07:33 pm
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