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बिहार,यूपी फिर गुजरात और अब AMU, पढ़िए जिन्ना की तस्वीर का कर्नाटक और लोकसभा चुनाव से कनेक्शन

जिन्ना की तस्वीर की तस्वीर पर यूं ही नहीं बरपा हंगामा !

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लखनऊ

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Dikshant Sharma

May 02, 2018

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amu jinnah connection

दीक्षांत शर्मा

लखनऊ. जून 2005 को लाल कृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को सेक्युलर नेता बताया था। अब उन्हीं की पार्टी के एक सांसद ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग की है। इस मांग के बाद जिन्ना को लेकर यूपी की राजनीति में सियासी तूफान आ गया है। खुद भाजपा के मंत्री इस मुद्दे पर आमने सामने हैं। मंत्री स्वामी प्रसाद ने जिन्ना को महापुरुष बताया है तो राज्यसभा सांसद हरिनाथ सिंह ने मंत्री पर कार्रवाई की बात कही है। ऐसे समय में जब कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं जिन्ना भाजपा के गले की हड्डी बन गए हैं। लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में राजनीतिक पंडित यह कह रहे हैं कि ये मुद्दा इतनी आसानी से ठंडे बस्ते में नहीं जाने वाला। क्योंकि इसका कनेक्शन कर्नाटक के आसन्न चुनावों से हैं।


विधानसभा चुनाव से पहले भी ऐसा था माहौल
2017 विधानसभा चुनाव के दौर को याद करें। उस दौरान भी कुछ ऐसा ही माहौल था। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। तब खुद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर खेद जताया था। तब यह कहा गया था कि ये साइलेंट तरीका है यह बताने के लिए भाजपा हिन्दुओं के पक्ष में ही सोचती है। इसे बल मिला था प्रधानमंत्री के श्मशान और कब्रिस्तान वाले बयान से। अंतत: सूबे में जीत भाजपा की हुई।


गुजरात चुनाव में याद आया पकिस्तान
यूपी से ही मिलता जुलता मामला गुजरात चुनाव में दिखा। गुजरात चुनाव के बीच, पहले दौर की वोटिंग के बाद नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान कनेक्शन की बात कही। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मणिशंकर अय्यर पर आरोप लगाया कि वे गुजरात चुनाव को प्रभावित करने के इरादे से दिल्ली में पाकिस्तानी राजनायिकों से मिले हैं। तब यह मुद्दा खूब गरमाया था।


बिहार चुनाव में भी 'पकिस्तान अलाप'
बिहार विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पकिस्तान का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि अगर बिहार में भाजपा हारती है तो पकिस्तान में पटाखे चलेंगे।


1938 में लगी तस्वीर, आज क्यों आई याद
लखनऊ विश्विद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर कविराज कहते हैं कि इस मामले को तूल दिया जा रहा है। हिंदुत्व के नाम पर तीखी टिप्पणियां कोई नई बात नहीं। हर चुनाव में धर्म और जाति का कार्ड खेला जाता है। 1938 में लगी जिन्ना की तस्वीर को मुद्दा बनाना इसी ओर इशारा करता है। यदि तस्वीर को हटाने की ही मंशा होती तो एएमयू वीसी को आदेश देने से काम हो जाता।


क्या बोला विपक्ष
समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि भाजपा असल मुद्दों से भागना चाहती है। गरीबी, बेरोजग़ारी के बजाय राम मंदिर, जिन्ना की तस्वीर जैसे मुद्दे को भुनाती है। गुजरात हो या कर्नाटक चुनाव हर जगह इनका यही प्लान रहता है।
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि जिन्ना भारत के नेता नहीं हैं। उनकी तस्वीर से भारतीय को लेना देना नहीं है। भाजपा की मंशा तस्वीर हटाना नहीं, उसकी आड़ में गन्दी राजनीति करना है।


भाजपा बोली, नहीं हैं वे महापुरुष
भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से भाजपा को अलग बताया। उन्होंने कहा जिन्ना महापुरुष नहीं थे। कोई भारत में जिन्ना की तस्वीर लगाए ये मुद्दा क्यों न हो ? जो पार्टी ये मानती हैं कि हम धुव्रीकरण कर रहे हैं वे भारत के मुसलमानों का अपमान कर रही है।