
बिजली कंपनियों के निजीकरण पर घोटाले के आरोप- फोटो-Ai
UP News: उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर गंभीर आरोप उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर लगाए हैं। परिषद की माने तो पावर कॉरपोरेशन की ओर से बनाई गई 5 नई बिजली कंपनियों की बैलेंस शीट और रिजर्व बिड प्राइस को जानबूझकर कम आंका गया। जिससे निजी घरानों में इसे इन्हें सस्ते में बेचा जा सके।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा का आरोप है कि एक बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार की साजिश जैसा पूरा मामला नजर आता है। निजीकरण के नाम पर इसे अंजाम देने की तैयारी हो रही है।
उपभोक्ता परिषद के दावे के मुताबिक, कंपनियों की बैलेंस शीट साल 2023-24 के ऑडिटेड आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। जबकि साल 2024-25 में ट्रांजैक्शन एडवाइजर की नियुक्ति की गई। इससे यह साफ होता है कि वित्तीय स्थिति के ताजा अपडेट के आकलन के बिना निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है।
अवधेश वर्मा का कहना है कि अगर पावर कॉरपोरेशन सच में पारदर्शी है और उनका दावा है कि निजीकरण में कोई गड़बड़ी नहीं की गई तो वह CAG को खुद सभी दस्तावेज और मसौदे उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि इसके बाद ये साफ हो जाएगा कि कहीं कोई घोटाला या साजिश नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इससे शक और गहरा होगा।
उन्होंने चेतावनी दी कि निजीकरण की इस पूरी प्रक्रिया को लेकर उपभोक्ता परिषद कानूनी और सार्वजनिक दोनों स्तरों पर लड़ाई जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले को अगर सरकार या कॉरपोरेशन की ओर से वापस नहीं लिया जाता है तो इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों और लाभार्थियों को भविष्य में जेल तक जाना पड़ सकता है।
परिषद का यह भी कहना है कि DPC अधिनियम 1971 के तहत CAG को ऐसी किसी भी प्रक्रिया की जांच का अधिकार है, जिसमें वित्तीय लेनदेन से पहले ही संभावित हानि, षड्यंत्र के संकेत मिलें।
Published on:
22 Jul 2025 05:51 pm
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