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रात में चाचा बगल में सोते थे…

#MeTooअभियान को पुरषों ने नयी दिशा दी

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लखनऊ

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Dikshant Sharma

Oct 17, 2017

Metoo

Metoo Hashtag

#MeToo पर विशेष-

लखनऊ. डिजिटल में कब क्या वायरल हो जाए कोई नहीं जानता। किसने सोचा था कि हॉलीवुड एक्‍ट्रेस एलिसा मिलानो के द्वारा शुरू हुआ #MeToo अभियान दुनियाभर की महिलाओं को अपने साथ कुछ यूं जोड़ेगा कि महिलाऐं अपने साथ हुई ज्यादती का कुछ खुल कर बयान करने लगेंगी। इस बारे में लखनऊ की महिलाऐं भी मुखर होकर आपबीती बता रही हैं। बात महिलाओं तक ही सीमित नहीं हैं। इसी के बहाने कुछ युवक भी अपने साथ हुए यौन शोषण की घटनाओं का खुलासा कर रहे हैं। एक तरह से #MeToo ने पुरूषों के मुँह में आवाज देदी है। एक स्वर में उन्होंने ये कहना शुरू कर दिया है कि आखिर ये अभियान सिर्फ महिलाओं के उत्त्पीडन पर ही केंद्रित क्यों रहे ? सोशल मीडिया पर #MeToo के साथ ऐसी पोस्ट भी की जा रही हैं। इस मुद्दे पर पत्रिका ने लखनऊ के यौन हिंसा पीड़ित कुछ युवाओं से बात की। पेश हैं पीड़ित युवाओं की कहानी उनकी ज़ुबानी-

- चौक के आबिद खान कहते हैं कि वे अक्सर समलैंगिक लोगों से मिलते रहते हैं। उनसे बातचीत का निष्कर्ष यही है कि तमाम ऐसे युवा हैं जो पुरुष यौन हिंसा के शिकार हैं लेकिन मुँह नहीं खोलते। बात जब #Metoo की चली तो आबिद खान से विवेक राणा ने बताया कि वे गे हैं लेकिन इसका अक्सर लोग मज़ाक उड़ाते हैं। लेकिन वे ये नहीं जानते कि आज जो वे बने हैं उसके पीछे एक किस्सा है जब वे 12 साल के थे। उनके एक दूर के चाचा ने ही उनके साथ कुछ ऐसा किया था और वे भी कई साल तक। वे कहते हैं तब न मुझे समझ आता था और न ही और किसी को समझा सकता था। मैं #Metoo कम्पैन के साथ खड़ा हूँ और उनलोगों को भी आमंत्रित करता हूँ जो इसके शिकार हुए हैं। .

-दीपाली चौधरी कहती हैं कि #MeToo के ज़रिये हम लोगों को इस बात का सन्देश दे सकते हैं कि समाज में कितना गलत हो रहा है और अधिकतर लोग चुप हैं। ये सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित क्यों रहे ? पुरुष हों या बच्चे जो गलत हैं वो गलत है। ये आवाज सब मिल कर उठाएं।

-दिग्विजय चौहान कहते हैं कि #MeToo सिर्फ महिलाओं से क्यों जोड़ा कर देखा जा रहा है। सेक्शुअल हर्रेसमेंट पुरूषों के साथ भी होता है। इसलिए इस अभियान को पुरुष भी समर्थन दें और अन्य लोग इस पहल का स्वागत करें।