
19 अगस्त को रक्षाबंधन और सावन का आखिरी सोमवार, शनि पीड़ा से मिलेगी मुक्ति
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित होता है। इस साल सावन के अंतिम और पांचवें सोमवार पर ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा अद्भुत महासंयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और फलदायी बना रहा है।
काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन कुल चार शुभ योग बन रहे हैं। इनमें श्रवण नक्षत्र के साथ सौभाग्य और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, और इस दिन पूर्णिमा तिथि भी है। करीब 90 साल बाद सावन के सोमवार को यह सभी महासंयोग एक साथ बन रहे हैं, जिसमें भगवान शिव की पूजा और साधना से हर मनोकामना पूरी होगी।
19 अगस्त को सुबह 5:46 बजे तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। श्रवण नक्षत्र से ही सावन महीने की उत्पत्ति हुई है, इसलिए यह दिन अत्यधिक शुभ माना जा रहा है।
इस दिन शनि पीड़ा से मुक्ति पाने का भी शुभ अवसर है। शनि की राशि में चंद्रमा का भ्रमण होगा, जिससे शनि दोष का निवारण किया जा सकता है। शनि पीड़ा से परेशान व्यक्तियों को इस दिन काला तिल और चावल शिवलिंग पर अर्पित करके भगवान शिव की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी है, लेकिन भद्राकाल का प्रभाव दोपहर 1:24 बजे तक रहेगा। इसलिए, भाइयों को राखी 1:24 बजे के बाद ही बांधनी चाहिए।
सावन के अंतिम सोमवार पर बन रहे महासंयोग के कई लाभ हो सकते हैं, विशेष रूप से धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
इस दिन बनने वाले अद्भुत ग्रह योग और नक्षत्रों के संयोग के कारण भगवान शिव की पूजा और साधना से हर मनोकामना पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है। विशेष रूप से जो लोग शिव जी से अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की कामना करते हैं, उनके लिए यह दिन अत्यधिक फलदायी होता है।
इस दिन शनि की राशि में चंद्रमा का भ्रमण हो रहा है, जिससे शनि दोष कम करने का अवसर मिलता है। शनि पीड़ा से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए यह दिन विशेष होता है, क्योंकि शिवलिंग पर काला तिल और चावल अर्पित करके भगवान शिव की पूजा करने से शनि ग्रह के दोषों का निवारण होता है।
श्रवण नक्षत्र के साथ सौभाग्य और सिद्धि योग का निर्माण होने से जीवन में सौभाग्य और सफलता प्राप्त करने का अवसर मिलता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता लाता है और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
इस दिन पूर्णिमा तिथि और शुभ ग्रह योग के प्रभाव से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता है जो आर्थिक उन्नति की कामना करते हैं।
इस महासंयोग के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से पुराने और असाध्य रोगों से मुक्ति मिल सकती है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
सावन का अंतिम सोमवार आध्यात्मिक साधना और ध्यान के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है। इस दिन ध्यान, साधना, और भगवान शिव की आराधना करने से आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त होता है, जिससे जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। यह दिन पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चों के बीच संबंधों में मधुरता लाने में सहायक होता है।
सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करते समय विधिपूर्वक पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यहाँ एक सरल और प्रभावी पूजा विधि दी जा रही है।
सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा के स्थान को साफ करके गंगाजल या पवित्र जल का छिड़काव करें।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे---
. शुद्ध जल (गंगाजल)
. दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर (पंचामृत के लिए)
. बेलपत्र (3 पत्तों वाला)
. सफेद फूल (विशेषकर धतूरा)
. भस्म (राख)
. चंदन, कुमकुम
. अक्षत (चावल)
. धूप, दीपक, अगरबत्ती
. काला तिल और चावल
. नारियल
. मिठाई (प्रसाद के रूप में)
. भगवान शिव का चित्र या शिवलिंग
पूजा से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए संकल्प लें। हाथ में जल, अक्षत, और फूल लेकर संकल्प करें कि आप पूरे विधि-विधान से पूजा करेंगे।
सबसे पहले शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें और पुनः शुद्ध जल से अभिषेक करें। यदि शिवलिंग उपलब्ध नहीं है, तो भगवान शिव के चित्र या मूर्ति पर यह अभिषेक करें।
शिवलिंग या भगवान शिव के चित्र पर बिल्व पत्र अर्पित करें। यह ध्यान रखें कि बिल्व पत्र ताजा हो और उसका पत्ता टूटा हुआ न हो। बेलपत्र के साथ-साथ सफेद फूल और धतूरा भी अर्पित करें।
शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए काला तिल और चावल शिवलिंग पर अर्पित करें। इससे शनि दोष का निवारण होता है।
अब शिवलिंग के सामने धूप और दीपक जलाएं। दीपक में घी या तिल का तेल डालें। अगरबत्ती भी जलाएं।
भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। "ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जाप विशेष रूप से लाभकारी होता है।
इसके अलावा, "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप भी करें।
'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।'
भगवान शिव की आरती करें। "ॐ जय शिव ओंकारा" या किसी अन्य शिव आरती का पाठ करें।
पूजा के अंत में शिवलिंग या भगवान शिव को मिठाई और फल का भोग लगाएं।
प्रसाद सभी भक्तों में बांटें।
पूजा के बाद भगवान शिव के समक्ष प्रणाम करें और अपने परिवार के कल्याण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करते रहें और यदि संभव हो तो व्रत रखें। दिन में एक बार फलाहार लें और शिवपुराण या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें। इस पूजा विधि से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Updated on:
16 Aug 2024 09:52 am
Published on:
16 Aug 2024 09:41 am
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