scriptवो शक्तिपीठ, जहां से अमित शाह ने शुरू की परिवर्तन यात्रा, फिर यूपी में BJP को मिला प्रचंड बहुमत | Amit Shah started Parivartan Yatra from Shakambhari Devi Siddhapeeth | Patrika News
लखनऊ

वो शक्तिपीठ, जहां से अमित शाह ने शुरू की परिवर्तन यात्रा, फिर यूपी में BJP को मिला प्रचंड बहुमत

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2016 में इस शक्तिपीठ से परिवर्तन यात्रा शुरू की थी। फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई। क्यों इतना महत्व रखता है मां दुर्गा का यह शक्तिपीठ..आइये जानते हैं।

लखनऊMar 21, 2023 / 11:09 pm

Vishnu Bajpai

Maa Shakambhari Siddhpeeth in Saharanpur

शाकंभरी माता।

बुधवार यानी 22 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। नवरात्रों में मां भगवती की चर्चा न हो, यह कैसे हो सकता है। आज हम आपको मां भगवती के ऐसे सिद्घपीठ के बारे में बताएंगे, जहां बड़े-बड़े नेता भी अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं। यूपी में ऐसा ही एक मां भगवती का सिद्घपीठ मंदिर है, जहां दर्शन करने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने अपनी परिवर्तन यात्रा शुरू की थी। इसके बाद यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत भी मिला।
वैसे तो पूरे देश में माता जगदंबा के 51 शक्तिपीठ हैं। इनके बारे में पौराणिक मान्यता है कि देवी सती के शरीर के अंग जहां-जहां गिरे। वहां आज शक्तिपीठ स्‍थापित हैं। देश के 51 शक्तिपीठों में से पांच शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश में हैं। इनमें से इस शक्तिपीठ का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है। हम बात कर रहे हैं सहारनपुर में स्थित मां शाकम्‍भरी देवी शक्तिपीठ की। आइये जानते हैं, इस शक्तिपीठ का इतिहास क्या है।
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स्कंद पुराण में महाशक्तिपीठ के रूप में किया गया जिक्र
स्कंद पुराण में एक श्लोक है, शाकम्भरी यत्र जाता मुनिनात्राण कारणात। तस्य पीठं परम पीठं सर्वपाप प्राणशनं। गत्वा शाकम्भरी पीठें नत्वा शाकम्भरी तथा। इसमें शाकम्भरी देवी मंदिर को महाशक्तिपीठ बताया गया है। यहां मां की प्रतिमा स्वयं सिद्ध है। स्कंदपुराण के केदारखंड के अनुसार “शाकम्भरी क्षेत्र की महिमा अपार है।” स्कंदपुराण में कामाख्या, रजरप्पा पीठ, तारापीठ, विंध्याचल पीठ के अलावा सहारनपुर के शाकम्भरी देवी मंदिर का जिक्र है। इसके अलावा ब्रह्मपुराण में भी इस पीठ को सिद्धपीठ बताया गया है।
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पुराणों और धर्मग्रंथों में अलग-अलग नाम से बताई गई महिमा
यह क्षेत्र भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान बताया गया है। इस दुर्लभ तीर्थ क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ भी कहा जाता है। भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र में गिरा था। इसलिए इसकी गणना देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में श्रेष्ठ है। उत्तर भारत की नौ देवियों की प्रसिद्ध यात्रा मां शाकम्भरी देवी के दर्शन के बिना पूरी नहीं होती। शिवालिक पर्वत पर स्थित यह शाकम्भरी देवी का सबसे प्राचीन तीर्थ है। अन्य पुराणों और धर्म ग्रंथों में यह पीठ परम पीठ, शक्तिपीठ, सतीपीठ और सिद्धपीठ नाम से चर्चित है।
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यहां मिलते हैं विष्‍णु कुंड और बाणगंगा सरीखे तीर्थ
महाभारत के वनपर्व के अनुसार “शाकम्भरी देवी ने शिवालिक पहाड़ियों में सौ साल तक तप किया। वह महीने के अंत में एक बार शाकाहारी भोजन करती थी। एक बार ऋषि- मुनि उनके दर्शन को आये तो देवी ने उनका स्वागत भी शाक से ही किया। इसलिए वह शाकंबरी के नाम से प्रसिद्घ हो गईं। स्कंदपुराण के अनुसार यमुना के पूर्व भाग में सूर्य कुंड है। यहां पर विष्णु कुण्ड और बाणगंगा सरीखे तीर्थ हैं।
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दर्शनमात्र से पाप नाश करने वाली है मान्यता
यहां भगवान विष्णु ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। इसके दक्षिण भाग में शाकम्भरी देवी विराजमान हैं। जो श्रेष्ठ और सर्व कामेश्वरी हैं। यहां पर शाकेश्वर महादेव प्रत्यक्ष सिद्धिदायक हैं। एक समय 100 साल तक बारिश नहीं हुई। इससे अकाल पड़ा तो देवी ने अपने अंगों से विशेष प्रकार का शाक उत्पन्न कर लोगों का भरण पोषण किया। इसलिए इनका नाम शाकंभरी पड़ा। यह देवी प्रत्यक्ष सिद्धिदात्री और दर्शन से ही पाप नाश करने वाली बताई गई हैं। अब आपको बताते हैं अमित शाह ने यहां से परिवर्तन यात्रा क्यों शुरू की…
इसलिए अमित शाह ने यहां से शुरू की परिवर्तन यात्रा
अमित शाह की परिवर्तन यात्रा में हम आपको सात साल पीछे ले चलते हैं। यानी 2016 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर सपा का कब्जा था। भाजपा एक अरसे से सत्ता कब्जाने के प्रयास में जुटी थी। 2017 में विधानसभा चुनाव होने थे। इसलिए भाजपा प्रदेश का माहौल अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। सहारनपुर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। दूसरा, यहां शाकंबरी देवी शक्तिपीठ हिंदुओं की आस्‍था का प्रमुख केंद्र है। यहां से परिवर्तन यात्रा शुरू कर उन्होंने मुस्लिम मतदाता को अपने पक्ष में किया। साथ ही शाकंभरी देवी के दर्शन कर हिंदुओं को भी साधा। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था।

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