21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आजम खान का कटा पत्ता! अखिलेश के मंडली में आए अवधेश प्रसाद, कभी शिवपाल ने काट दिया था उनके बेटे का टिकट

अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद की नजदीकी इस समय चर्चा बनी हुई है। लोग कह रहे हैं कि अवधेश प्रसाद आजम खान की जगह ले रहे हैं। ये वहीं अवधेश प्रसाद हैं जिनके बेटे का टिकट शिवपाल यादव ने काट दिया था। आइए जानते हैं वह कहानी!

3 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Anand Shukla

Mar 20, 2023

Awadhesh Prasad replacing Azam khan

अवधेश प्रसाद, अखिलेश यादव और किरणमय नंदा (बाएं से दाएं)

समाजवादी पार्टी की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दो दिनों तक कोलकाता में चली। सपा अध्यक्ष अखिलेश समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचे। इस दौरान अखिलेश यादव के साथ वरिष्‍ठ सपा नेता और पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव अवधेश प्रसाद उनकी बगल में दिखे। चाहे प्‍लेन में हो या मंच हो। हर जगह अखिलेश के बगल में अवधेश प्रसाद ही नजर आए।

दोनों की तस्वीर सामने आने के बाद लोग कहने लगे कि अवधेश प्रसाद इस समय सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान की जगह ले रहे हैं। इसके पीछे का लोग कारण भी बता रहे हैं। जब यूपी में विधानसभा बजट सत्र चल रहा था तब अवधेश प्रसाद सदन में उसी जगह बैठे जहां कभी आजम खान बैठा करते थे।

यह भी पढ़ें: कल्याण सिंह जयंती: राम मंदिर बनाने की खातिर एक क्या 10 बार सरकार कुर्बान करनी पड़ेगी तो हम तैयार हैं!

अखिलेश के करीबी नेता हैं अवधेश प्रसाद

मिल्‍कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद की गिनती अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में होती है। जब अखिलेश और शिवपाल के बीच बर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। उस समय अवधेश प्रसाद शिवपाल का साथ ना देकर अखिलेश यादव का साथ दिया था। इसलिए अखिलेश यादव उन्हें खास तवज्‍जो देते हैं लेकिन यह नजदीकी एक समय अवधेश प्रसाद के लिए मुसीबत बन गई थी।

पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात के दौरान अखिलेश के साथ मौजूद थे अवधेश प्रसाद IMAGE CREDIT:

शुरूआत में आजम और शिवपाल का सपा पर था कंट्रोल

कहा जाता है कि शुरुआती दौर में सपा सरकार अखिलेश कम उनके चाचा शिवपाल, आजम खान और अमर सिंह चला रहे थे। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री होते हुए भी किसी विभाग में अपने मन से कुछ नहीं कर पा रहे थे। इसी के चलते अखिलेश यादव अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में बगावती हुए और सरकार पर कंट्रोल बना लिया है। इसके बाद अखिलेश की नाराजगी शिवपाल के लिए खुलकर सामने आई।

यहां से शुरू हुई दोनों नेताओं के बीच लड़ाई

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच विवाद की शुरुआत 2016 से होती है जब मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता पार्टी को शिवपाल सपा में विलय कराना चाहते थे। इसमें मुलायम सिंह की भी सहमति थी। लेकिनसीएम अखिलेश ने इसका विरोध किया। शिवपाल बुरा मान गए और पार्टी से इस्‍तीफा देने की धमकी दी। मुलायम सिंह यादव ने उन्हें हमेशा कि तरह मना लिया।

अखिलेश ने छीन लिया था शिवपाल का मंत्रालय

चाचा- भतीजे के बीच विवाद की हदें तब पार कर गई जब 13 सितंबर 2016 को अखिलेश ने शिवपाल के करीबी मुख्‍य सचिव दीपक सिंघल को पद से हटा दिया। इसके बाद शिवपाल नाराज होकर मुलायम के पास पहुंचे। मुलायम ने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष पद से ही हटा दिया और शिवपाल यादव को नया प्रदेश अध्‍यक्ष बना दिया। अध्यक्ष पद से हटाए जाने से अखिलेश यादव नाराज हो गए और उन्होंने शिवपाल यादव से पीडब्‍ल्‍यूडी, सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय छीन लिया। इसेक बाद अवधेश प्रसाद को सिंचाई विभाग मिला।

राम गोपाल यादव, अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद IMAGE CREDIT:

यह भी पढ़ें: उमेशपाल हत्याकांड: कौन है अतीक अहमद, जो जेल में है बंद, जिस पर लगा है राजूपाल के गवाह को मरवाने का आरोप

दोनों ने जारी की उम्मीदवारों की लिस्ट

साल 2017 के विधानसभा चुनाव आ गए। दोनों के बीच विवाद का असर टिकट बंटवारे पर पड़ा। शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव से पूछकर पहले ही प्रत्‍याशियों की सूची जारी कर दी। अखिलेश भी पीछे नहीं हटे उन्‍होंने अपनी एक अलग सूची जारी कर दी।

कट गया था अवधेश प्रसाद के बेटे का टिकट

अखिलेश यादव ने अपने करीबी मंत्री अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अमेठी की जगदीशपुर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था। शिवपाल यादव ने अवधेश प्रसाद के बेटे का टिकट काट दिया। उनकी जगह कांग्रेस छोड़कर आईं जिला पंचायत सदस्य विमलेश सरोज को दिया।

लड़ाई का असर चुनाव पर पड़ा

अवधेश प्रसाद परेशान होकर मुलायम सिंह यादव के पहुंचे। मुलायम सिंह यादव ने इस मामले में दखल दिया और अजीत प्रसाद को दोबारा से जगदीशपुर से टिकट मिला। अजीत प्रसाद को टिकट तो मिल गया लेकिन दोनों के लड़ाई का असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। नजीता यहा रहा कि 2017 विधानसभा चुनाव में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।