30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विवादित ढांचा विध्वंसः इन 10 कारणों से कोर्ट में नहीं टिक पाए सीबीआई के सबूत

अयोध्या विवादित ढाचे के विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों का बाइज्जत बरी कर दिया।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Abhishek Gupta

Sep 30, 2020

babri demolition

babri demolition

लखनऊ. अयोध्या विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट (CBI court) ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। फैसला 2300 पन्नों का था, लेकिन कोर्ट ने कोरोना व रूम में अधिक भीड़ को देखते हुए केवल सारांश पढ़ा। सीबीआई ने कोर्ट के सामने कई सुबूत पेश किए, लेकिन वह सभी नाकाफी साबित हुए। सभी सुबूत पर्याप्त नहीं थे। वहीं सीबीआई कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी। यह कोई पूर्व सुनियोजित साजिश नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि केवल फोटो के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता है। फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी को जिस तरह से साबित किया गया वह साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है। कोर्ट में टेंपर्ड सबूत पेश किए गए थे। जज एसके यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद का ढांचा अराजक तत्वों ने तोड़ा है, इन 32 लोगों ने उसे बचाने की कोशिश की। अचानक से भीड़ आई और उन लोगों ने ढांचे को गिरा दिया।

ये भी पढ़ें- अखिलेश यादव ने कहा - 2022 में जनता भाजपा सरकार के जनविरोधी कामों का पूरा हिसाब लेगी

फैसले की 10 बड़ी बातें-
1. ढांचा गिराने की घटना अचानक हुई थी, इसमें को साजिशन नहीं थी।

2. ढांचा गिराने में किसी भी तरह की साजिश के सबूत नहीं मिले है।
3. अज्ञात लोगों ने विवादित ढांचा गिराया था। जिन्हें आरोपी बनाया गया है, उनका इस घटना से लेना-देना नहीं।
4. सीबीआई 32 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रही है।
5. गवाहों के बयान कहते हैं कि कारसेवा के लिए जुटी भीड़ की नीयत बाबरी ढांचा गिराने की नहीं थी।
6. अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि अंदर मूर्तियां थीं।

ये भी पढ़ें- यूपी में एक दिन में आए 4069 मामले, सीएम योगी करेंगे एल-2 लेवल के 7 अस्पतालों का शुभारम्भ

7. विवादित जगह पर रामलला की मूर्ति मौजूद थी, इसलिए कारसेवक उस ढांचे को गिराते तो मूर्ति को भी नुकसान पहुंचता। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था।
8. अखबारों में लिखी खबरों को सबूत नहीं माना जा सकता।

9. सबूत के रूप में कोर्ट को सिर्फ फोटो और वीडियो पेश किए गए। जो की टेम्पर्ड थे। उनके बीच-बीच में खबरें थीं, इसलिए इन्हें भरोसा करने लायक सबूत नहीं मान सकते।

10. चार्टशीट में तस्वीरें पेश की गईं, लेकिन इनमें से ज्यादातर के निगेटिव कोर्ट को मुहैया नहीं कराए गए। इसलिए फोटो भी प्रमाणिक सबूत नहीं हैं।